अंशुल जैन
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कभी देख भी लिया कर रुख हवा का,मुसाफिर ये राहें और आसान हो जाएगी ,कभी देख भी लिया कर रुख हवा का,मुसाफिर ये राहें और आसान हो जाएगी
विजय का पर्व!
9 मई 2016
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मैंने जन्म नहीं मांगा था, किन्तु मरण की मांग करुँगा।
9 मई 2016
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मैं अखिल विश्व का गुरू महान,
9 मई 2016
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भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
9 मई 2016
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पहली अनुभूति: गीत नहीं गाता हूँ
9 मई 2016
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पन्द्रह अगस्त का दिन कहता - आज़ादी अभी अधूरी है। सपने सच होने बाक़ी हैं, राखी की शपथ न पूरी है॥
9 मई 2016
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दुनिया का इतिहास पूछता, रोम कहाँ, यूनान कहाँ?
9 मई 2016
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जन की लगाय बाजी गाय की बचाई जान, धन्य तू विनोबा ! तेरी कीरति अमर है।
9 मई 2016
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चौराहे पर लुटता चीर प्यादे से पिट गया वजीर
9 मई 2016
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किसी रात को मेरी नींद चानक उचट जाती है
9 मई 2016
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