बेटियाँ
बेटियाँफूलों की तरह खिलखिलाती हैं।खुशबू की तरह मेहकाती हैं।परियों का रूप लेकर आती हैं।सबकी किस्मत में नहीं होती,किसी किसी घर को ही रोशनाती हैं बेटियां।दुखों में साथ कभी न ये छोड़ती।अपनों से कभी मुंह नहीं मोड़ती।अकेले में बैठ कर चाहे घंटों रो लें।सामने हर दुःख हंस के जर लेती हैं बेटियां।न चाहते हुए भी