व्यक्त्वि का हस्र
व्यक्तित्व निर्माण में समाज की विशेष भूमिका होती है, जैसे किसी चरित्र को पागल घोषित करने पे उसपर पागलपन के उभरने की सम्भावना बढ जाती है , किसी चरित्र को संदेह की दृष्टि से देखने से उस पर शक्की चरित्रता की झलक मिलने लग जाती है।दोनों ही दृष्टियों से समाज मे दो व्यक्तित्वों का हस्र हो जाता है।