विगत कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल का शहर/जिला मालदा अख़बारों की सुर्ख़ियों में है वजह का सही या गलत का होना इतिहार के आंकलन का विषय है मगर अख़बारों के सुर्ख़ियों में ज़रूर है!
मालदा के त्रासदी के ज़िक्र से पहले उसके आर्थिक महत्व को समझने की कोशिश करते है, और उसके आर्थिक महत्व को समझने से पहले हमें बिजली उत्पादन और वितरण को समझना ज़रूरी होगा नहीं तो मालदा के आर्थिक को महत्व को समझ पाना मुश्किल होगा!
POWER GENERATION TRANSMISSION & DISTRIBUTION :
बिजली उत्पादन, हस्तांतरण और वितरण: ऊर्जा से हमारा हर दिन का वास्ता है और ऊर्जा के मायने बिजली जिसके बिना हमारी ज़िंगगी अंधकारमय है? अगर हमारे घरों में बिजली या सड़कों पे स्ट्रीट लाइट जल रही है या फिर औद्योगिक घरानों में बिजली की आपूर्ति की जा रही है तो हमें मालदा शहर/जिला के मजदूर का शुक्र गुजर होना ही पड़ेगा और चाहिए भी!
देश में कहीं भी अगर बिजली का उत्पादन से लेकर हस्तांतरण या वितरण की व्यवस्था अगर की जा रही है तो उसमे मालदा का योगदान है! हमारे देश के राज्य बंगाल के शहर/जिला मालदा से जो भी मजदूर देश के कोने कोने में फैले हुए इस काम के लिए देश की तरक्की में हाथ बटाने के लिए वे मूलतः बांग्ला देश के ही है जो किसी न किसी कारन बस हिंदुस्तान में ही बसे हुए है! इसके राजनैतिक और अन्य कारण भी है जो देश के लिए त्रासदी का रूप लेती है!
छोटे से शहर मालदा का एक छोटा सा बाजार जो मिल्की के नाम से मशहूर है वहां आपको देश नामी गिरामी कंपनियों के प्रतिनिधि मिल जायेंगे उनमे से कुछ एक नाम है बजाज इलेक्ट्रिकल,L & T, टाटा, कल्पतरु, एमको, ज्योति, J .P इत्यादि, देश का दूर दराज इलाका हो चाहे दुर्गम पहाड़ियों पर Transmission Line Tower के माध्यम से बिजली हम तक पहुँचती है, उस जोखम भरे कामों को अंजाम देश में वहीँ के मजदूर देते है!
बिजली के क्षेत्र से हम आज की तारीख में मालदा के योगदान को नकार नहीं सकते है, हा मगर इतना ज़रूर है की तकनीक विकसित की जा रही जो भविषय में इन मजदूरों का स्थान लेगी जोखिम भरे कामों में हाथ बटाने के लिए?
मालदा एक त्रासदी भी है जो की अख़बारों की सुर्ख़ियों में है, जो हमारे देश की राजनैतिक व्यवस्था की देन भी है, और इसका सीधा सीधा मसला वोट बैंक से भी जुड़ता है!, देश का पिछला ५५-६० सालोँ का राजनैतिक इतिहास वोट बैंक से आगे की कहानी नहीं कहती है, सत्ता के लिए वोट और वोट के लिए इंसान रूपी वोट बैंक जो वोट दे सके इस देश में उसका भी इंतजाम इस देश की राजनीती के इस देश में किया है!
बंगाल में सरकार चाहे किसी की भी रही है कोंग्रस से लेकर TMC तक विदेशियों को देश में बसाने की कोई कसर नहीं छोड़ रखी है, आर्थिक मजबूरी उनसे कुछ भी करा लेती है चोरी से लेकर डकैती तक नकली नोटों के कारोबार से लेकर तस्करी तक, मजदूरी से लेकर गुंडागर्दी तक ज़रुरत जिन्दा रहने की मजबूरी और राजनैतिक समर्थन वोट बैंक के लिए, मालदा शहर के रस्ते से घुसपैठिये देश के कोने कोने में है!
हाल ही के दिनों में दिल्ली एक घटना, रूपये पांच हजार की लूटपाट में दर्दनाक मौत इसी ज़रूरी और मजबूरी की कहानी व्यान करती है!
देश का यह वो कोना है जहाँ राज्य की पुलिस भी जाने से कतराती है.अगर दूसरे शब्दों में कहें तो दीदी ने देश में विदेश की स्थापना की है जिसकी नीँव बर्षो पहले ही राजनीती ने वोट बैंक के लिए रख छोड़ी थी?