उम्मीद जनता की नई राजनीती से भी धूमिल हो रही है,उम्मीद की किरण क्यों दोराहें पर है,
देर बहुत हो चुकी है सब्र जनता का भी टूट रहा है, फ़ास्ट फ़ूड के दौर में राजनीती भी फ़ास्ट चाहिए?
27 जनवरी 2016
उम्मीद जनता की नई राजनीती से भी धूमिल हो रही है,उम्मीद की किरण क्यों दोराहें पर है,
देर बहुत हो चुकी है सब्र जनता का भी टूट रहा है, फ़ास्ट फ़ूड के दौर में राजनीती भी फ़ास्ट चाहिए?