धन्धा
भोर का समय था। ट्रेन के स्टेशन पर रूकते ही लोगों का चढना-उतरना शुरू हो गया था। उतरने वालों में कुछ लोग वे थे जिनका गंतव्य आ चुका था और कुछ वे जो गर्मी के मारे बेहाल थे तथा प्लेटफार्म पर ठंढी हवा में जी भर साँस लेना चाहते थे। चढनेवालों में कुछ यात्री थे तथा कुछ चायवाले, दातुन वाले, खोमचे वाले थे, जो