shabd-logo

निशान्त जैन के बारे में

आधे चार्टर्ड अकाउंटेंट और कभी पूरे स्टॉक ब्रोकर रहे निशान्त, आप सब की ही तरह, परिवार और रिश्तों तो अहमियत देते हैं लेकिन व्यक्तिगत आज़ादी भी इनके लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है । इनसे बात करना आपको सुकून देता है लेकिन इनके विचार आपको भीतर तक परेशान कर सकते हैं, झकझोर सकते हैं । इन्हें शुरु से ही पढ़ने का काफी शौक है और कुछ-कुछ लिखते भी रहते हैं । इनकी लिखी कहानी “बायोलॉजिकल मदर” उनकी चर्चित कहानिओं में शुमार है । 2017 में एक बीमारी के बाद इन्होनें अपने पारिवारिक प्रकाशन में दिलचस्पी लेनी शुरु की और कम समय में ही उसे एक मुकाम पर स्थापित करने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर हैं । जब भी इन्हें फुर्सत मिलती है तो शोर-शराबे से दूर, प्रकृति की एकांत गोद में खुद को महफूज़ रख लेते हैं । “दुमछल्ला” की अप्रत्याशित सफलता के बाद, निशान्त कुछ नया और विचारणीय लिखना चाहते थे जिसके फलस्वरूप इन्होनें परवरिश जैसा विषय चुना, जिसकी आज के समय में महत्त्वता बहुत बढ़ गई है। इनके अनुसार यह किताब इन्होनें नहीं लिखी है बल्कि इनके विद्रोही किरदारों ने लिखी है। आपके हाथों में इस किताब का होना, आपको भी इसका एक किरदार बनाता है। हर माँ-बाप अपने बच्चों के लिये सबकुछ करना चाहते हैं लेकिन आज के समय में समाज का योगदान भी बहुत महत्वपूर्ण है जिसके सहयोग के बिना सपने बिखरने में पल भर नहीं लगता। वेबसाइट : https://www.authornishant.com/

  • facebook-icon
  • twitter-icon
no-certificate
अभी तक कोई सर्टिफिकेट नहीं मिला है|

निशान्त जैन की पुस्तकें

दुमछल्ला

दुमछल्ला

जब इंसान अंदर से टूटता है तो वो अपनी बात समझाने के तरीके ढूँढने लगता है । और जब अंदर भावनाओं का ज्वार उठ रहा हो और सुनने वाला कोई न हो, तो वो खुद के लिए फैसलें लेता है । बेशक वो समाज की मान्यताओं में सही न हो लेकिन वो फिर भी अपने हक़ में फैसलें लेता ह

0 पाठक
0 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

135/-

दुमछल्ला

दुमछल्ला

जब इंसान अंदर से टूटता है तो वो अपनी बात समझाने के तरीके ढूँढने लगता है । और जब अंदर भावनाओं का ज्वार उठ रहा हो और सुनने वाला कोई न हो, तो वो खुद के लिए फैसलें लेता है । बेशक वो समाज की मान्यताओं में सही न हो लेकिन वो फिर भी अपने हक़ में फैसलें लेता ह

0 पाठक
0 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

135/-

शोर... अंतर्मन का कोलाहल

शोर... अंतर्मन का कोलाहल

शोर... अंतर्मन का कोलाहल या कहें की शून्यता, बाहर की अव्यवस्थित व्यवस्था से अलग, चिंतित मन का व्यथित लेकिन व्यवस्थित सुर है जो किसी भी इंसान को जीने की वजह भी देता है और जीने का उद्देश्य भी लेकिन आख़िर यह शोर पनपता ही क्यूँ है? कौन सही है, कौन गलत? कौ

0 पाठक
0 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

200/-

शोर... अंतर्मन का कोलाहल

शोर... अंतर्मन का कोलाहल

शोर... अंतर्मन का कोलाहल या कहें की शून्यता, बाहर की अव्यवस्थित व्यवस्था से अलग, चिंतित मन का व्यथित लेकिन व्यवस्थित सुर है जो किसी भी इंसान को जीने की वजह भी देता है और जीने का उद्देश्य भी लेकिन आख़िर यह शोर पनपता ही क्यूँ है? कौन सही है, कौन गलत? कौ

0 पाठक
0 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

200/-

निशान्त जैन के लेख

no articles);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए