मित्रो ना हिन्दु हुं, ना मुसलमान हुं, इन्सान की औलाद हुं इन्सान हुं
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काश खुदा ने ऐसा कोई घर बनाया होता,जिसमे सब धर्म के लोगो को बैठाया होता, नाम रखा होत उसका मानवता घर तो फिर ये जंहा पर ये धर्मो के युद्द का संकट गहराया ना होता.काश खुदा ने ऐसा कोई घर बनाया होता ू
मेरा कहने का मतलब ये है कि हम सब इन्सान हैं