में एक साधारण परिवार से हूँ. पर मेरे विचार और सोच असाधारण हैं !
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ये एक ऐसी paristhiti hai Jo hum चाहे shurubat kitni bhi sabdhani से करे अंतिम में bhul बस कुछ-न-कुछ ghatit हो जाती hain ...
आज हमारे मजदूरों की स्थिति बहुत दयनीय हैं . जो की किसी से ये बात छिपी नहीं हैं . जो एक बहुत ही गंभीर बिषय हैं !