शिवराज सरकार ने माना 4 महीने में 342 किसानों ने की आत्महत्या
इंडिया संवाद ब्यूरो
भोपाल : किसानों द्वारा लगातार की जा रही आत्महत्या के आंकड़ों को देने में सरकार के हमेशा होश उड़ जाते हैं। तीन बार लगातार सत्ता में रही मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह की सरकार भले की किसानों की खुशहाली के दावे करती रही हो लेकिन विधान सभा में सरकार ने माना कि राज्य में 4 महीने के दौरान बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या की है।
महाराष्ट के बाद मध्यप्रदेश देश के किसानों की हालत सबसे खस्ता है। राज्य में जहाँ किसानों ने सबसे ज्यादा आत्म हत्या की है। मध्यप्रदेश की विधानसभा में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान आखिर शिवराज सिंह के गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने माना कि मध्यप्रदेश में पिछले चार महीनों के 342 खेत मजदूरों ने आत्महत्या की।
गृह मंत्री ने एक सवाल के जवाब में जानकारी दी कि फसल बर्बाद होने से सिर्फ एक किसान की मौत हुई है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस के रामनिवास रावत के सवाल के जवाब में गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने लिखित में कहा कि, मप्र में पिछले चार माह में सिर्फ एक किसान की फसल बर्बाद होने के बाद हार्ट अटैक से मौत हुई है। जबकि 193 किसान और 149 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की।
गौर ने बताया कि, एक जुलाई से 30 अक्टूबर 2015 तक कुल 2948 व्यक्तियों ने आत्महत्या की। इसमें 342 किसान और कृषि मजदूर थे। वहीं एक जनवरी से 30 जून तक 3 हजार 646 आत्महत्या हुई थी। इसमें किसान 245 और कृषि मजदूर 250 थे।