सुशांत झा
एक पत्रकार, एक अनुवादक, एक राजनीतिक-समाजिक विश्लेषक, एक यात्री और एक बतक्कड़। हूं तो पत्रकार लेकिन लोग मुझे रामचंद्र गुहा की वजह से ज्यादा जानते हैं जिनकी किताबों-'इंडिया आफ्टर गांधी' और 'गांधी बिफोर इंडिया' का मैंने पेंग्विन के लिए अनुवाद किया है। किया वैसे और भी लेकिन वो आपको बोर कर देगा-लंबी लिस्ट है। मधुबनी का हूं, दिल्ली में ज्यादा रहता हूं क्योंकि आईआईएमसी में यहां पढने आया तो जेएनयू की इमारत प्यारी लगने लगी। मन करता है तो ऐतिहासिक स्थानों, नदियों और खेतों के बीच घूमने निकल जाता हूं। वैसे पुराने खंडहर, चमकता हाईवे और स्वस्थ किसान मुझे सबसे प्यारे लगते हैं। गिलहरी को निहारता हूं और मैना को मैं भी घमंडी चिड़िया मानता हूं जैसा कि गुरुदेव(टैगोर) ने कहीं लिक्खा था। किताब किसी भी तरह का हो-उसकी बड़ी भूख है। इतिहास से लेकर अध्यात्म तक और सुरेंद्र मोहन पाठक से लेकर मार्केज तक को पढता हूं। हरियाली वाली जगहों पर अक्सर जमीन की कीमत पूछ लेता हूं, गोलगप्पे पसंद हैं और जेएनयू के ढावों पर चाय भी। क्रिकेट नहीं देखता-सिर्फ यहीं बीमारी है। आजकल, अनुष्का शंकर का सितार सुन लेता हूं।