मेरा नाम वैभव भारद्वाज है। मैं पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर, रैकी और लामा फेरा हीलर, सम्मोहन चिकित्सक, और स्पिरिचुअल क्षेत्र में काफ़ी वर्षो से कार्यरत हूं। मैं गाजियाबाद में रहता हूं।
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वेदपाठ और यज्ञकर्म ही धर्म है, और दान ही पुण्य है।
संध्यावंदन-ध्यान ही सत्य है।
ब्रह्मांड अनित्य और परिवर्तनशील है।
संस्कारबद्ध जीवन ही जीवन है।
मोक्ष ही जीवन का लक्ष्य है।
कर्म का प्रभाव होता है, जिसमें से कुछ प्रारब्ध रूप में होते हैं इसीलिए कर्म ही भाग्य है।
एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति
कौन कहता हैं मित्रता बर्बाद करती है,साथ निभाने वाला मिल जाए तो जिंदगी आबाद करती है।
गीता ज्ञान हमारे जीवन की सभी समस्या एक मात्र साधन है।