दो अक्टूबर का दिन महान,
मिला था भारत को सम्मान।
वे गांधी थे जन्मे पोरबन्दर,
शास्त्री मुगलसराय के अम्बर।
गांधी की सीख शांति अहिंसा,
सत्य का जीवन में है हिस्सा।
अंग्रेजों से लड़े बिना हथियार,
स्वराज का कर अद्भुत संचार।
"जय जवान, जय किसान",
दिया शास्त्री जी ने नारा महान
सादा जीवन और उच्च विचार,
हर दिल होये न्याय का संचार।
गांधी जी ने दिया हमें स्वराज,
दूजे ने रखी मेहनत की लाज।
लाल बहादुर, छोटे कद वाले,
पर विचारों में पर्वत के ढाले।
गांधी ने सीखा जीवन सरल,
छोटे-छोटे कामों में गहरा हल।
दांडी मार्च से दुनिया थी हिली,
अंग्रेजी शासन से मुक्ति मिली।
शास्त्री ने बताया संयम का पाठ,
हर दिल भरे आत्मविश्वास साठ।
ताशकंद से लाए शांति का संदेश,
धोती कुर्ता उनके भारतीय सुवेश।
दोनों ने दिखायी सच्चाई की राह,
मिटे अंधेरा,फैले उजाले की बांह।
गांधी ने दिया स्वराज का उपहार,
शास्त्री जी ने किसानी अधिकार।
गांधी और शास्त्री,दीपक जलते,
अज्ञान से ज्ञान की डोर पकड़ते।
इस ज्योति से है प्रेरणा मिलती,
भारत की आत्मा गर्व से खिलती।
स्वरचित डॉक्टर विजय लक्ष्मी