हिंदी का नाम फारसी शब्द हिंद से लिया गया है जिसका अर्थ है सिंधु नदी की भूमि । 11वीं सदी की शुरुआत में सिंधु नदी किनारे बोले जाने वाली भाषा को हिंदी नाम दिया गया था । हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा है । भारत के अलावा हिंदी मॉरीशस, फिलिपींस, नेपाल ,फिजी ,गुआना, सूरीनाम, त्रिनिदाद तिब्बत ,पाकिस्तान में थोड़े बहुत बदलाव के साथ अलग-अलग रूप में हिंदी बोली जाती है ।
विश्व के सैकड़ो विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है । पूरे विश्व में करोड़ों लोग हिंदी बोलते हैं ।अमेरिका में ही 200 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी का पठन-पाठन होता है ।
छोटे से फिजी द्वीप देश में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है । इससे हिंदी के वैश्विक महत्व का पता चलता है । अंग्रेजी और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बताई गयी है ।
भारत में हिंदी दिवस 14 सितंबर को होता है । विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है । दोनों का उद्देश्य हिंदी भाषा को प्रोत्साहन व संरक्षण देना है ।विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर इसे बढ़ावा देना है । 14 सितंबर 1949 में हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने का फैसला लिया गया था ।
पहला विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में किया गया था अभी तक पोर्ट लुइस ,स्पेन, लंदन ,न्युयॉर्क जोहंस वर्ग तथा भारत में विश्व हिंदी सम्मेलनों का आयोजन हो चुका है ।
जब किसी देश का वैश्विक वर्चस्व बढ़ता है तब लोग वहां की संस्कृति व वहां के विषय में जानने समझने के लिए भाषा को अपनाकर सीखते हैं । हिंदी के प्रति विश्व में लोगों की बहुत ही रुझान बढ़ी है ।
हमारे यहां की सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाती फिल्में ,अध्यात्मिक प्राचीन ग्रंथ , रामायण महाभारत कालीन लोक कथाएं बच्चों की प्रेरणा स्रोत रही हैं।
हमारे यहां के ज्ञान का केन्द्र कहे जाने वाले आध्यात्मिक गुरू ,विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ, योगानंद आदि बहुत से विद्वज्जन लोगों में लोकप्रिय रहे हैं । उन तक पहुंच के लिए एकमात्र रास्ता हिन्दी भाषा ही माध्यम थी । इससे हिन्दी भाषियों के आंकड़ो में वृद्धि हुयी ।
कंप्यूटर और इंटरनेट में हिंदी की सराहनीय उपस्थिति ने भी एक क्रांति लायी है । गूगल जैसा प्रख्यात सर्च इंजन भी भारतीय राजभाषा हिंदी को भारतीय प्रमुख भाषा के रूप में पहचानता है।
फरवरी 2018 में हिंदी भाषी शोध के अनुसार इंटरनेट के संसार में हिंदी भारतीय उपभोक्ताओं ने अंग्रेजी को पीछे छोड़ दिया था । जिससे इंटरनेट की ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़त होती जाएगी इससे हिंदी की भूमिका और सशक्त हो जाएगी ।
क्योंकि हमारे यहां आमतौर पर दो भाषा प्रचलित थी । कार्यालय में अंग्रेजी और बोलचाल में हिंदी । हिंदी बोलने वालों की संख्या आंकड़ों में लगातार बढ़ रही है । क्योंकि भारत गांवों में सृजता है ।
80 % लोग हिंदी बोलते हैं । हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद से हिंदी की भूमिका मध्यस्थता और अधिक सक्रिय हो गई है ।
इसका सरकारी कामकाज में प्रयोग अनिवार्य कर दिया गया है जिससे एक नई शब्दावली का निर्माण प्रचार प्रसार भी बढ़ रहा है । मध्यप्रदेश सरकार ने मेडिकल पाठ्यक्रम में हिन्हिंदी माध्यम को लागू किया है जिससे और अधिक पुस्तक अनुवादित होंगी । किसी परिचय की मोहताज नहीं रह गई ।वरन् हिन्दी ने अपनी सशक्तता से दूसरी भाषाओं को दोयम दर्जे का साबित कर अडिगता के साथ खड़ी है ।
हिंदी की अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बन चुकी है । यह विदेशी भाषाओं को स्वीकार ही नहीं करती अपितु सभी भाषाओं को आत्मसात करने की क्षमता रखती है । विश्व की 3500 विदेशी कृतियां हिंदी अनूदित हो चुकी हैं । हमारे धार्मिक ग्रंथो को लोग बहुत ही रुचि के साथ पढ़ते हैं । गीता का अनुवाद भी कई भाषाओं में हो चुका है । विश्व हिंदी केंद्रीय सचिवालय मॉरीशस में बनना और हिंदी को प्रौद्योगिकी से जोड़ना एक मील का पत्थर साबित हुआ है ।
हमारी हिंदी की देवनागरी लिपि बहुत ही सशक्तता से अपनी साख के दम पर डटी है, वहीं दूसरी भाषायें अपनी लिपि अस्तित्व की लड़ाई में उलझी
हैं ।
मोबाइल ,आईपैड गूगल की बोर्ड ने हिंदी की पहुंच और वर्चस्व को सिद्ध करने में भरपूर सहयोग किया है । हमारे भारतीय प्रवासियों ने अपने समूह के बीच हिंदी की जीवंतता व सक्रियता को भी बरकरार बनाये रखा है ।
हमारे भारतेंदु हरिश्चंद्र जी का कथन
निज भाषा उन्नति अहे सब उन्नति के मूल,
बिनु निज भाषा ज्ञान के रहत मूढ़ के मूढ़।
आज विश्व में हिंदी अनुवाद की बहुत अधिक मांग, हिन्दी की वैश्विक स्तर पर श्रेष्ठता साबित करती है । बेल्जियम के फादर कामिल बुल्के हिंदी को समर्पित संत रहे,उन्होंने ब्रज ,अवधी,हिन्दी व संस्कृत सीख राम कथा पर प्रमाणिकता के साथ शोध प्रस्तुत कर अंग्रेजी भाषियों में हिन्दी के प्रति रुचि बढ़ाई ।
एक रिपोर्ट के अनुसार 120 देशों में हिंदी का पठन-पाठन जारी है । महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा द्वारा एमबीए का पाठ्यक्रम इसके महत्व को सिद्ध करता है ।
सभी भाषाओं की जननी संस्कृत (देववाणी )से बेटी का सम्बन्ध रखने वाली हिंदी, विश्व की सबसे वैज्ञानिक, उच्चारण में स्पष्ट ,ध्वनि का सकारात्मक रूप है । हर ध्वनि अक्षर अपने आप में एक मंत्र नाद है जो बोलने वाले को अंदर से हार्दिक रूप से उसके तार झंकृत कर तरंगित करने में सक्षम है । बहुत से ऐसे शब्द है जो अंग्रेजी या अन्य भाषा में सटीक रूप से अनुवादित किये ही नहीं जा सकते हैं ।उसके भावार्थ लय गति को पकड़ने के लिए हिंदी सीखना अत्यावश्यक है। हमारे पाणिनि सूत्र के 14 महेश्वर सूत्र कितने सटीक विवेचित किये गये हैं ।
हिंदी सीखने बोलने में सहज व आसान है ।अंग्रेजी सीखने में हम भ्रमित अधिक होते हैं ।अभ्यास की अधिक जरूरत से समय अधिक लगता है । put पुट बोलते हैं पर but बट बोलते हैं । ये तो मात्र एक उदाहरण हैं ऐसे बहुत उदाहरण हैं हमारी हिंदी में ऐसा कुछ नहीं है ।calm काम में एल साइलेंट है हमारे यहां शब्द पर रखी बिंदी भी अनुस्वार है
हिंदी में किसी भी तरह का छिपाव या दुराव नहीं है। जो अंदर से वही बाहर से भी है ।
हिंदी विश्व में अपनी सरलता ,सुगमता ,लोच व तरलता जैसे कारणों से ,हमेशा से लोगों के आकर्षण का केंद्रबिन्दु रही है । हमारी विरासत बहुत ही समृद्ध और गरिमामयी रही है ,सौरमंडल व्याख्या नासा की गणना के पहले ही हमारा हिंदू पंचांग सटीक व्याख्या कर देता है । हर क्षेत्र की अपनी कहानी ,उद्यमिता प्रेरणा है , संगीत हो या ज्योतिष ,योग संस्कार हो ,आध्यात्मिकता या आयुर्वेद यहां जन जन के जीवन में रचे- बसे हैं । लोगो से जुड़ाव के लिये लोग हिन्दी सीखने की पहल कर रहे हैं ।
क्योंकि किसी से सम्पर्क करने,समझने के लिए उसकी भाषा का ज्ञान होना अति आवश्यक होता है । कहा भी गया है "खग ही जाने खग की भाषा "।