पुनर्मिलन का सुख अद्भुत, और मिलन का पल,
दोस्तों के साथ हो या परिवार का मेल ये सुखद हल।
विदेशों की धूप हो , या अपने गाँव की छाया,
पुनर्मिलन की खुशी से हो हर दिन नयी काया।
बचपन के खिलौने, या जवानी के दिन रंगीन,
पुनर्मिलन से कोई भी न रह सके जुदाई है संगीन।
दोस्तों के साथ हंसी-मजाक,और परिवार की गोदी,
पुनर्मिलन का अहसास भरता एक महक शोंधी ।
जब होता है पुनर्मिलन , तब मन में हो धूमधाम,
खुशियों का त्योहार, अनमोल पलों का अविराम ।
इसीलिए पुनर्मिलन का इंतजार रहता है लगातार,
क्योंकि यह एक अनुपम और प्यारा सा त्योहार।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी