दुनिया में देखे हैं यों रंग हजार,
प्यार का रंग बस देखा है प्यार।
दिल में छाये जो बन के बहार,
महक से सज्जित गायें मल्हार।
अपनों से मिल रंग नया है होता,
दर्द और खुशी रंग ही प्यार होता।
सच्चा प्यार एक जादुई अहसास,
वो रंग जो दिल को देता आकाश।
सजते हैं रिश्तों के रंगीन से फूल,
रंगों से भरे हमारे मन के वे शूल।
प्यार ऐसा जो अपने में हो कुर्बान,
न्योछावर कर दे उस पर जहान।
आज प्यार को बदरंग देखते है,
गिरगिट से रंग बदलते पेखते है।
प्यार आज मोल से बिकता है,
निस्वार्थ प्यार कहां दिखता है ।
प्यार बिना अर्थ ,अर्थ ही न रहा,
सभी का प्यार अर्थहीन हो रहा।
बच्चों के रंग प्यार के बेढंग देख,
खुद को कोस करे ,न मीन-मेख।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी