अफवाह की छाया से रहें दूर ,
जीवन बगीचे को करें गुलेनूर।
गुमराहियों की राह से दूर चलें,
सच्चाई के पथ से न हम हिलें।
अफवाहों की बिल्ली को भगाये,
सत्य ,साहस शेर को यों जगाएं।
दिल से जुदा बस ये आवाज़ हो,
ज्ञान मिठास का ही आगाज हो।
अफवाहों का ताना-बाना ना बुनें,
सच्चाई की बातों के रंग खुद चुनें।
सदा हक की रक्षा हेतु रहें तैयार,
रहे दूर अफवाह भरे गर्म बाजार।
अफवाह के मेघों को दूर भगाएं,
सच्चाई के सूरज से ताकत पाएं।
विश्वास और कर्म पर हम डटे रहें,
अफवाह धूप में तर्क छांव लायें।
मिथ्या से बचके जीवन समृद्धि चुनें,
सत्य के प्रकाश में हम नया जग रचें।
अफवाहों की धूप से हम नहीं तपें ,
यथार्थ की कर खोज मुकाबला करें।
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी