जी ले जरा, खुल के अब अपने भी लिये
चिंदी-चिंदी ,किरम-किरम खुद को जिये
बार-बार अपनों से ही कितने गरल पिये
किसी की राह न देख,होगा अपने किये।
सपनों को छूने का,साकार कर सपना,
जी ले इस पल को,यही जीवन अपना
सितारों की चमक , हवा की खुशबू,
आओ मिलकर करें,खुशनुमा जुस्तजू
मुस्कराएं दिल से , भूल जाएं हर दर्द,
जी ले यह जिन्दगी , बन असली मर्द ।
रिश्तों की गहराई में,गोता लगा प्यार से
जी ले जरा ज़िन्दगी,भर नयन खुमार से
हंसते-हंसते बिताएं,कुछ हसीन से पल
जी ले जरा खुशी से, राह में बड़े छल
जीवन के रंगों में ,खो अपने आप को
तज परवाह,डर न सामाजिक छाप को
चुप नीरव रात में, तारों संग काव्य बुन
चमकते चाँद से मिल ,बीन रागिनी सुन,
सपनों के पंखों पर ,उड़ाता जा विचार,
जी ले यह जिन्दगी, इसी में जीवन सार
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी