श्रावण मास परम सुहावन शंकर जी का वास
उनके गणदेवता का सब मिल करें परम सुपास
नागपंचमी का दिन आया, धरती पर छाया प्रेम,
नागों की पूजा,सबको मिले सुख-समृद्धि नेम।
इस दिन जाते बांबी पूजने देने को उन्हें सम्मान
यही तो अपनी संस्कृतिगाथा सभी को देते मान
काले नाग की मूर्ति पर चढ़ती दूध की मीठीधार,
फूल,अक्षत,और दीपक से सजे त्यौहारी बयार।
प्रकृति के इस सखा के सम्मान की है बेला,
साल भर फले-फूले खेती हर क्षेत्र में नवेला।
सर्पों के गुणगान से मनाएं हम यह शुभ दिन,
आते सपेरे दिखाने को सर्प ये उनके हैं दुर्दिन
पिंजरा चाहे सोने का हो बन्धन तो है बन्धन
करें आजाद मुक्त हवा में कुछ तो हो स्पन्दन
बिना छेड़े करते नहीं जीव किसी का नुकसान
इंसान ही उनकी खाल के लालच में हो हैवान
हरियाली की चादर, खेतों में हरियाली छांव
नागपंचमी पर गुड़िया पीटें ये कैसा पर्व स्वांग
आप सभी को नागपंचमी की खूब-खूब बधाई
मुंह मीठा करते हैं जलेबी , घेवर व बालूशाही
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी