13 सितम्बर 2018
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अंग्रेजी भाषा पढ़कर तुम नई नोकरी पाओगे।फ्रेंच पढ़ी तो बेशक परचम दुनिया मे लहराओगे।निज भाषा से दूर रहे तो तुम क्या खाक कमाओगे,अपनी हिंदी त्याग पराई से क्या प्रीत निभाओगे?स्वदेश सिंह चरौर
स्वदेशी शब्दनगरी में,मेरी हिंदी सुशोभित है।अनूठी वर्णमाला में,सृजन सरिता प्रवाहित है।मेरे स्वप्निल विचारों को,मेरी हिंदी प्रकट करती,न मानो हेय हिंदी को,इसी से हम प्रकाशित हैं।।स्वदेश सिंह चरौरा