कांधे पर हाथ रख कर कदम मिलाकर चलते थे जब,,
भूल जाते थे सारे दुख समय साथ मे बिताते थे जब,,
अब वो हर पल का सुकून कहॉ मिलेगा दूर होकर हमे ,,,,
जितना साथ मे रहकर एक दूसरे को सताते थे जब,,
याद करता हूँ उन पलो को तो मुस्कान आ जाती है,,,,
कभी एक दूसरे के आँसुओ को पोछा करते थे जब,,
कांधे पर हाथ रख कर कदम मिलाकर चलते थे जब,,