05 -06 -2018 आज के दिन को पूरा विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मना रहा है जिसका मतलब होता है कि हमें अपने पर्यावरण को अनेक ऐसी दूसित गैसों से इसे कैसे सुरक्षित और भबिष्य के सुन्दर बना कर रखा जाए ताकि मानव जाति बहुत ज्यादा हानि न पहुंचे ।पर इस पर्यावरण को यदि हम दूसित कर रहे हैं तो इसको सही बनाए रखने के लिए प्राकृतिक शक्ति हैजो उसे बह समय - समय पर बनाए रखती है । मै जो आज देख रहा हूं कि इस पर्यावरण से भी खतरनाक और दूसित पर्यावरण मानव का मानसिक पर्यावरण है जो बिभिन्न देशों के प्राकृतिक पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचा रहा ही है और वह बिभिन्न देशों को भी दीमक की तरह खा रहा है इसे कोन सन्तुलित करेगा जिस प्रकार से मानव अपने फायदा के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है उसी प्रकार से प्रकृती को भी अपने आप को बचाने के लिए इस मानव सभ्यता को दुबारा से नष्ट करना होगा जैसा की इसके उदाहरण पहले भी देखने को मिलते रहे हैं और मैं समझता हूँ यही उपाय सबसे बडिया होगा मानव के दूसित मानसिकता रूपी रोग को सही करने के लिए जब ही हम कह सकते हैं कि आप विश्व पर्यावरण दिवस है हम पर्यावरण को ही नष्ट कर रहे हैं और हम कह रहे हैं कि आज विश्व पर्यावरण दिवस है । यह कैसा दिवस है ? विचार प्रस्तुत कर्ता सचिन कुमार सिद्धार्थ