एक नये दिन एक नये आरंभ
एक नवजीवन की ओर चलो,
कल्पना और वास्तविकता के
तुम हर अंतर को तोड़ चलो।
अकेले हो न तुम अकेले रहोगे
उत्साह का लिए ये छोर चलो,
निपुण हो तुम अजय हो
असफलता को पीछे छोड़ चलो।
लाख बाधाएं डाले ये जग
करे चाहे कितना शोर चलो,
फूल हटा लें यदि वो राहों से
तुम कांटों से रंग निचोड़ चलो।
#प्रेरित
१२/१२/२०१८