शब्द मौन है तो शांत है।
शब्द मुखर है तो आग है।
शब्दचेतना है तो विकास है
शब्द धर्म है तो प्यार है।
शब्द कट्टर है तो उन्माद हैै।
शब्द बचपन है तो खिलखिलाहट है।
शब्द जवान है तो काम है।
शब्द।पौढ है तो उपदेश है।
इंसान के हर रिश्ते मैै
शब्द का जाल है ओर
जाल मे इंसान है।
क्योकि बाकि दु निया तो
निशब्द है।