आज मनुष्य पैसे की कमाई के चक्कर में अपने आप को और लोगों को भूलता जा रहा है कहां से कहां पहुंच गया मनुष्य ।अक्सर हम लोग देखते हैं आप भी देखते होंगे रोड़ पर एक्सीडेंट हुआ या होते हुए हम लोग इतने व्यस्त होते हैं कि रुक कर देख भी नहीं सकते कि वह कौन है कहां का है कैसे चोट लगी जिंदा है कि मर गया। किसी प्रकार खड़े भी हुए फिर चल देते हैं कि कौन पढ़े इन पचड़ों में लेकिन दोस्तों क्या हम रुक कर देख नहीं सकते शायद वह हमारा परिचित हो या कोई भी हो क्या उसे हम हॉस्पिटल नहीं पहुंचा सकते आज गवर्नमेंट भी कहता है अगर किसी का एक्सीडेंट हुआ है तो आप सो नंबर पर सूचना दें या हॉस्पिटल में बस उसको पहुंचा दे आपसे कोई सवाल जवाब नहीं किया जाएगा और ना ही आपको कोई दिक्कत होगी लेकिन हम फिर भी इतने लापरवाह हो गए हैं कि हम दूसरे मनुष्य को भूलते जा रहे हैं क्या हम इतने गए गुजरे हो गए कि हम अपने मनुष्यत्व को भी भूल जा रहे हैं ?