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कोई तो बता दे विद्यार्थी की परिभाषा ?

11 फरवरी 2018

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कोई तो बता दे विद्यार्थी की परिभाषा

क्यों मिलती है हमें हर मोड़ पर निराशा,

हर कोई है कहता ,

आज का स्टूडेंट नहीं है पढता ,

किसी ने हमारी मजबूरी को नहीं है समझा ,

सभी ने अपनी इच्छाओं को हम पर है थोपा ,

कभी माँ -बाप ने अपने सपनो को मुझ में है देखा ,

तो कभी शिक्षक ने हमें बनाया है अपने प्रचार का जरिया क्या यही है एक विद्यार्थी का परिभाषा?

तिल -तिल मरके , खुद को भुला के,

माँ -बाप के सपनो को किया साकार ा

फिर भी हमें क्या मिला?

सौ लोगों ने कहा ये सब था मेरा उपकार ,

पर जब हम हो गए किसी एक परीक्षा में फेल ,

सब ने हमसे मुँह लिया फेर ,

छोड़ दिया सबने मुझे वीरान रास्ते पर तन्हा तरपता ा

क्या यही है एक विद्यार्थी की परिभाषा?

कभी सरकार के नये नियम ,

तो कभी स्कूलों, कॉलेजों में शिक्षकों की कमी ,

हमें अंदर ही अंदर झकझोरती रही ,

लेकिन सभी ने अपनी कमजोरी छिपाया ,

और फिर हमें ही दोषी ठहराया ा

क्या यही है विद्यार्थी की परिभाषा?

जहाँ तक मुझे पता है विद्यार्थी का मतलब -

'' विद्या को ढोने वाला ''

पर मुझसे तो लोगों ने मेरी लाश को ही मुझसे ढुलवाया ा क्या यही है विद्यार्थी की परिभाषा?

आयेशा मेहता की अन्य किताबें

शशांक मिश्रा

शशांक मिश्रा

जान कर भी क्या करेंगे विद्यार्थी हो कैसा ।जानना काफी है इतना विद्यार्थी है आयेशा।

17 फरवरी 2018

रेणु

रेणु

आयेशा जी आपके प्रशन वाजिब और सार्थक है सचमुच विद्यार्थी आज एक मोहरा बनकर रह गया है | माता पिटा के लिए महत्वकांक्षा का तो शिक्षकों के लिए बाजारवाद का | अच्छा लिखा आपने | लिखते रहिये | मेरी शुभकामना -

11 फरवरी 2018

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बहुत बढ़िया एवं समाज को आइना दिखती कविता |

11 फरवरी 2018

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कोई तो बता दे विद्यार्थी की परिभाषा ?

11 फरवरी 2018
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कोई तो बता दे विद्यार्थी की परिभाषा क्यों मिलती है हमें हर मोड़ पर निराशा, हर कोई है कहता , आज का स्टूडेंट नहीं है पढ

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खामोश दिल की आवाज़

11 फरवरी 2018
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एक खालीपन जो मुझे सताए,कभी भीड़ से मन घबराये, तो कभी तन्हाई मुझे डराये ा कोई जो मुझसे पूछे मेरे दिल का हाल, उसे क्या बताऊँ जब मैं ही हूँ खुद से अनजान, मेरी जिंदगी भी बनकर रह गयी है एक मजाक, न ही कोई ख्वाहिश न ही कोई प्यास ा मेरी धरकन मे

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फीकी होली

1 मार्च 2018
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ज़िन्दगी के भागम भाग में, कहीं खो गयी है होली ा ना तो कोई कान्हा है, ना तो कोई गोपी ा व्हाट्सएप और फेसबुक पर ही, अब तो सेलिब्रेट हो रही है होली ा होली के मैसेज भेज कर, पूरा कर रहे हैं फॉर्मेलिटी ा ना तो दिलों

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एहसास प्यार का

13 अप्रैल 2018
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दिल में उठते भावनाओं का एक बबंडर न जाने क्या बयां कर जाती है? तेरी यादों की गरमाहट से एक प्यार की लौ जल जाती है ा बरसों रही जिससे नफरत आज वही है दिल की हसरत तुम्हे याद करने से मिला न मुझको फुरकत बन बैठा तुम मेरा मुकद्दर दिल में उ

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कविता में भी, है कविता

15 अप्रैल 2018
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यादों में कविता किसी की बातों में कविता फूलों की खुशबू में कविता पक्षिओं की गुंजन में कवितानदिओं की कलकलाहट में कविता दिल की गहराई में कविता किसी की तन्हाई में कविता मन की हलचल, है कविता होठों की मुस्कुराहट में भी कविता किसी की प्यार म

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दिल में कोई तस्वीर सा

20 अप्रैल 2018
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तेरे आँखों की नूर में, देखा है कुछ ख़्वाब सा तेरे धड़कनों की आहट में, छिपा है कोई अल्फ़ाज़ सा जी न पाऊँगी तनहा अकेला गर चला गया मुझे, करके रुसबा फिर ढूंढ ना पाओगे, मुझे मेरे मितवाहर नकाब के साये में, मुझे ही पाओगे, ओ बाबरातेरे चेहरे की मासूमि

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दिल की दास्ताँ

27 अप्रैल 2018
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मैं लिखती हूँ, दिल बनके तू दिल की दास्ताँ सुन ले मैं धरकता हूँ कलेजे में किसी जिंदगी की समां बनके ा मैं रहता हूँ जिस्मों के साये में, किसी लव की दुआ बनके सहता हूँ जिंदगी की तूफानों को किसी मुसाफिर की रहगुजर बनके ा छलक जाता हूँ , य

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शायरी

8 मई 2018
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लिख दूँ कोई गजल तो लोग दीवाना समझे कर दूँ शेरो सायरी तो लोग प्यार समझ बैठे लोग तो इतना भी नहीं समझते -आशिकों के दिल को पढ़के उनके एहसास को छूके अपना अल्फाज देके उनके खूबसूरत प्रेम कहानी की दास्तान लिखती हूँ ा

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कसक जिंदगी की

8 मई 2018
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भूला के अपना वजूद , तेरे नाम को स्वीकारा ा दुनिया को पीछे छोड़कर ,तेरे हाथ को है थामा ा जोड़ा जो तुझसे नाता ,कर दिया सबने मुझे बेगाना ा पाके तुझे तो मैंने ,खोया है सबकुछ अपना ा पर छोड़कर मुझे अकेला ,कहाँ चला गया वो दिलरुबा ा ये जिंदगी

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कुछ अधूरा सा

13 मई 2018
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अधूरी सी है ख्वाहिश , सपने भी है अधूरे ,कोई मंजिल भी गुमनाम हुआ ,कुछ रास्ते तय हुए ना पुरे ा अधूरी -सी है जिंदगी ,मेरी कहानी भी है अधूरी ,न जाने कौन सी आग ,कब से सीने में जल रही ा कुछ अनकही सी फरियाद है,कुछ सवाल भी है अधूरे ,किस रा

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माँ

13 मई 2018
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तू मेरी जिंदगी है माँ , तू मेरा हौसला है माँ ,मेरे हर एक जीत की, तुम ही प्रेरणा हो माँ ा गर छोड़ जाये सब साथ मेरा ,माँ तू न छोड़ना हाथ मेरा ,लड़खड़ा जाए कदम कभी ,माँ बनना तू सहारा मेरा ा फिर से गले लगा ले न माँ ,आँचल में कहीं छिपा ले

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मेरे तसव्वुर में वो आया था

4 जून 2018
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मेरे तसव्वुर में वो आया था , लब्जों पे वही ख़ामोशी ,दिल में वही हलचल ,आँखों में वही दर्द छिपाया था ा होंठ खामोश थे उसके ,पर आँखें सबकुछ बयाँ कर रही थी ,तड़प वो रहा था ,महसूस मुझे हो रहा था ,दर्द उसकी आगोश में था ,और आँखें मेरी छलक रही थी ा डाल आँखों में आँखें ,क

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अब बहुत हुआ अत्याचार

5 जून 2018
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चीखती हुई आवाज़ , गूंज रही है मेरे कानों में ,वह आवाज़ थी या फिर ,किसी लड़की की बेबसी ,बाल पकड़ उसकी ,सड़कों से खींच लाया था उसे ,कुछ हैवान ने खेतों में ,चीखती रही चिलाती रही वो ,अपने इज़्ज़त की भीख मांगती रही वो ,करके उसे निर्वस्त्र ,हाथ रख

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वक़्त

11 जून 2018
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एक वक़्त की लहर थी , कुछ इस तरह से आके चला गया ,कभी दामन में खुशियां समेट लाया ,कभी आँसुओं का सैलाब दे चला गया ा मौसम की तरह करवट बदलता है ,कभी बनके वो पतझड़ ,शाख को तन्हा कर जाता है ,कभी खुद ही बादल बन , धरती की प्यास को बुझाता है

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कचरे में लिपटा बचपन

12 जून 2018
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तिनका -2 ढेर से चुन , झोली में वह डाल रहा ा उस तिनके में है स्वपन स्वर्णिम ,जो धूल धूसरित बालक देख रहा ा हाथ उसके कलम नहीं है लौह -चुम्बक लिए वह घूम रहा ा तिनका -2 ढेर से चुन ,झोली में वह डाल रहा ा भूख से विकल आत्मा ,नयन बसे करुण

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हम दुर्गा कैसे बने ?

14 जून 2018
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मैं गुड़िया तुम्हारे आँगन की , मैं टुकड़ा तुम्हारे कलेजे की ,पिंजरे में कैद कर मुझको ,दुनिया की सारी खुशियाँ दी ा रक्षक बनाकर पायल को ,मेरे पांव में तुमने बाँधी ,छन -छन पायल की छनकार ,मेरे कानों में शोर मचाती रही ा दहलीज कभी न लांघने दी ,

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जल रहा है दीप अबतक

16 जून 2018
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जल रहा है दीप अबतक, जिसको जलाया था कभी तुम ,कपकपाते हाथ तेरे ,जब मुझको छुआ पहली दफा ,बिजली सी मन में कौंध गयी ,जो दर्द छिपा था ह्रदय में ,आँसू बनके वो बह गया ा धुआँ-धुआँ मेरा मन था ,एक चिंगारी तेरे अंदर ,

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एकांक मन

17 जून 2018
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हर तरफ सन्नाटा है , कहीं दूर,शायद जंगलो में , एक चुप्पी चीख रही है ,रात अमावश की है ,हर तरफ अँधेरा कायम है ा बादल की आगोश में सितारे भी ,गहरी निद्रा में सो गया है ा पेड़ के नीचे सूखे पत्तों में ,एक अजीब सी सरसराहट है,उसे कोई जगाने क

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उलझन

19 जून 2018
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स्वयं में ही उलझी हुई , खोई -खोई सी रहती हूँ ,एकांत और बिलकुल चुपचाप ,नजर कहीं दूर जाके टिक जाती है , आँखों से ओझल ,अनंत पर ा मस्तक में कुछ ,धुंधले तस्वीर आते हैं ,कोई ख्याल बनके

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गिरकर सम्भलना ,संभल के तू चलना

15 जुलाई 2018
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गिरकर संभलना,संभल के तू चलना ,कभी न रुकना ,बढ़ते ही रहना ,तो क्या हुआ, गर राह है मुश्किलों का,जो वक्त की झंझावातों से लड़ ,अपने हार को स्वीकार कर चलता रहा ,जीत भी हुआ है, उसी मनुष्य का ा पथ पर चलते हुए ,छोड़ जाना तू पाँवों के निशान ,उसी निशान को पथ रेखा बना ,फ

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पुरानी तस्वीर

22 जुलाई 2018
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फूलों से कुछ रंग चुराकर , भरें थे इन तस्वीरों में ,ढलते-निकलते शामों-सुबह में ,कुछ रंग फिकें पर गए ,पर इनकी खुशबू आज भी ,उदास आँखों की चमक बन ,यादों के बगीचे में ,महक रहे ा

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मन के उथल पुथल को, शब्दों में कैसे ढालूँ

27 जुलाई 2018
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मन के उथल पुथल को ,शब्दों में कैसे ढालूँ ,जो महसूस तेरे लिए करी हूँ ,तुम्हे कैसे मैं बताऊँ ातुम तो कभी आते ही नहीं ,न हकीकत में ,न ही ख्वाब में ,हाँ ,अक्सर तुम्हारी याद आ जाया करती है ,कभी सुर्ख होठों की मुस्कराहट बन ,तो कभी आँखों की नमी बन ा मेरे नींद के आगो

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ऐ बादल इतना क्यों बरस रहे हो ?

31 जुलाई 2018
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ऐ बादल इतना क्यों बरस रहे हो ?तुम्हारे बूँद की थपेड़ों से ,मेरा उदास मन पिघल रहा है ,कागज की कश्ती पर ,सवार हो ये ख्याली मन ,उसकी गली में निकल जाता है ा ऐ बादल इतना क्यों गरज रहे हो ,जो ख्वाब महीनों से ,मेरे अंदर सो रहा था ,हौले -हौले वो भी जग रहा है,तेरे बूँ

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दुर्दशा नारी की

9 अगस्त 2018
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युग -युग से श्रापों से श्रापित, इज़्ज़त को सदा ललायित ,कृष्णा के पावन धरती पर ,होती रही हूँ घोर अपमानित ा खटक रहा है वजूद अपना ,खुद पर ही झललाई हूँ ,भागीदार मैं सृष्टि रचने में ,खुद ही सृष्टि से दुत्कारी गयी ा कहाँ सुरक्षित मैं रही ?कोई जरा मुझको बताना ,मुहल्ले

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हमारे दिलों में जयजयकार बनके

16 अगस्त 2018
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क्या लिखूँ उनके लिए ? जो करोड़ो दिलों पर राज किए ा कौन नहीं है आपके कायल ?सम्पूर्ण राष्ट्र को आप गौरवान्वित किये ा मिट गया है शरीर आपका ,पर हमेशा जीवित रहेंगे ,हमारे दिलों में जयजयकार बनके ा

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कविताओं में सिमट गया

22 अगस्त 2018
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जो टूट गया मेरे अंदर , कागजों पर बिखर गया ,जिसे लब्ज कह न सका ,वो कलम कह गया ा एहसास है ,जिसकी कोई आस नहीं ,उलझा हुआ है दिल में ,होठों पर उसका नाम नहीं ,वो ज़िन्दगी के रंगों में नहीं ,आंसुओं में घुल गया ,जो दिल में न जुड़ सका ,शब्दों में ढल गया ा न तो जूनून

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कल की रात

23 अगस्त 2018
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कल की रात ,बिना पलक झपके , एक ही लय में , एक ही सुर में ,टकटकी लगाए मैं चाँद को देख रही थी ा आँखों में न तो उदासी था ,और न ही पानी ,बस .. दिल में दर्द का एक डुबान था ा ऐसा लग रहा था ,मानो दूर समुंदर में ,एक तूफान आने वाला है ,जो अक्सर ख़ामोशी के बाद आता

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एक चिट्ठी ,भाई के नाम

26 अगस्त 2018
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भाई तुम्हे याद है जब तुम महज 11 साल के थे और मैं 13 साल की ा तुम बहूत बीमार थे ा तुम्हारा ऑपरेशन हुआ था ा ऑपरेशन के बाद मैं तुम्हे देखने तुम्हारे वार्ड में गयी ा उस टाइम पर भी तुम पर दवाइओं का असर था और तुम ढंग से होश में नहीं आये थे ा मैं तुम्हे देखकर वार्ड से बाहर आ रही थी तो तुमने कसकर मेरा ह

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सूरज की अपार ज्योति हूँ !

28 अगस्त 2018
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खुद की ही सोच से , जन्मी हुई एक बीज हूँ ा पत्थरों में विलीन हो ,पत्थरों से ही उपजी हूँ ,अनन्त काल से शिलाओं पर ,बेख़ौफ़ उभरी हुई अमिट तहरीर हूँ ा जो घुलती है, न मिटती है ,जलती है न बुझती है ,बस मौन रह ,अपनी अमर गाथाएं कहती है ा मैं

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चलो ,अपने बुझे रिस्ते को दफनाते हैं !

3 सितम्बर 2018
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रास्ते अलग होने से पहले , चलो अपने बुझे रिस्ते को दफनाते हैं ा तन-मन का क्या ?उससे तो अलग हो ही जायेंगे ,एक-दूसरे के आत्माओं से जो उलझे हैं ,चलो,पहले उनको सुलझाते हैं ा जरा रात की ख़ामोशी में ,बीतें पन्नों को पलटना ,मेरे साथ बिताये पल से ,खूबसूरत लम्हों को चुन

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फिर जागते हुए रात क्यों कटी ?

11 सितम्बर 2018
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न कोई ख्याल था, न उम्मीद किसी के दीदार की,फिर जागते हुए रात क्यों कटी,क्यों मैं रात भर दर्द से लिपटी रही ?मैं जाग रही थी ,या मेरे अंदर कोई ?रोज हाले -ए -दिल चाँद को सुना ,थोड़े सुकून से सो जाया करती ,कल तो चाँद भी फुरकत में न था ा छत की मुंडेर पर कब से

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उम्मीद कोई मुस्कुरा रहा

21 सितम्बर 2018
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घनघोर अँधेरा चारो तरफ , दुखों से लिपटी रात है ,मालूम ऐसा हो रहा ,अश्रु का दामन नहीं छूटेगा ,ये काली स्याह नहीं हटेगा ,पर भ्रम सारे तोड़ कर ,क्षितिज पर देखो वहाँ ,दीपक का थाल सजाकर ,उम्मीद कोई मुस्कुरा रहा ा जख्म है गहरा ,भर जायेगा ,अश्रु स

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क्या ये कोरा कागज नहीं बोलता ?

23 सितम्बर 2018
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सुबह से शाम हो गई , और शाम से रात ....पर कागज कोरा ही था ा मैं तकिए के सहारे ,कभी बैठती तो कभी लेट जाती ,जज्बातों को समेटती ,एहसासों को अल्फाज देती ,पर सिवाय उसके नाम के ,कागज पर कुछ नहीं उभरा ा उसकी याद में कितनी खामोश हूँ ,क्या ये

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मै मीरा -सी दीवानी , तुमको कृष्णा बना लिया ा

16 अक्टूबर 2018
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आसमा से टूटकर ,एक सितारा जमीं पर गिरा , समझकर तुम्हारा दिल , मैंने दिल में छिपा लिया ,सजदे में जब भी हाथ उठा, लब पर तुम्हारा ही नाम आयाजान से भी ज्यादा अजीज हो मेरी जान ,मैं मीरा-सी दीवानी , तुमको कृष्णा बना लिया ा मेरे ही अंदर समाया है तू ,फिर भी ढूंढती

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दर्द-ए-महफिल सजा,अपने जख्मों को ताजा करती रही ा

18 अक्टूबर 2018
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दर्द-ए-महफिल सजा,अपने जख्मों को ताजा करती रही , किसी बेचैन दिल को नगमा सुना,मैं रोज मरहम बनती रहीअंदर-ही-अंदर जो टूटता रहा,वही नज्म मैं गुनगुनाती रही,नम आँखों के दर्द को समझे न मेरा महबूब ,अपने यार की दीवान

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मेरे ही अंदर का उजड़ा हुआ बाग निकला

19 अक्टूबर 2018
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मैं अपने कमरे में बैठी हुई , खिड़की से बाहर देख रही थी ,बाहर कितना खालीपन और सन्नाटा था ,हवाओं में कोई हलचल नहीं ,न ही किसी पंछी का शोर था ,आसमा का चंचल नील नयन ,आज उदास बहुत था ,मालूम हो रहा था जैसे कोई तूफान आके ,इस गुलज़ार प्रकृति

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दिल मेरा एक मंदिर है ,इसकी पुजा हो तुम

31 अक्टूबर 2018
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जिसे लब्ज़ ब्यां न कर सके ,वो जज्बात हो तुम , दिल मेरा एक मंदिर

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आज सिर्फ राही हूँ मैं ,अब कोई मंजिल नहीं

3 नवम्बर 2018
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अतीत से दामन छुड़ाकर ,आज नये सफर का प्रारम्भ करती हूँ मैं , क्या पाया ?क्या खोया ?सब भूलकर ,एक अनजान मुसाफिर बनती हूँ मैं , दुनिया की नजरों में उलझी थी अबतक , आज गुमनामी को स्वीकार करती हूँ मैं ,कल तक भ्रम में मैं जीती रही,आज हकीकत अपनी पहचान कर , वापस जमीं पर चल

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दीप जलाकर प्रजा ढूँढ रही है अपने राम को

7 नवम्बर 2018
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ये दीप नहीं , एक उम्मीद भेज रही हूँ मैं आपको , दीप जलाकर प्रजा ढूँढ रही है अपने राम को ,टूटे न उम्मीद किसी के भरोसे का ,अपनी रौशनी से रौशन कर दो पुरे आबाम को

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एक अधूरी कहानी लिखकर, एक शायरा गुमनाम हो जाएगी

15 नवम्बर 2018
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इस दुनिया में हर इंसान किसी ना किसी वजह से परेशान रहता है लेकिन बहुत से लोग अपनी परेशानी किसी से शेयर नहीं कर सकते हैं। उन्हें अच्छा नहीं लगता तो कोई अपनी हर बात किसी एक खास को बताते हैं जिसपर उन्हें विश्वास होता है। लाइफ में हम जिसे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं वो हमसे दूर रहता है और उसे हम पा नहीं स

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जाग उठो ऐ बेटियों ,अब कोई तेरा रक्षक नहीं

31 दिसम्बर 2018
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जाग उठो ऐ बेटियों ,अब कोई तेरा रक्षक नहीं , खतरे में है वजूद तेरा,बैठा है घात लगाए तेरा भक्षक कहीं,बहुत बहा लिए आँसू तुम,अब आँखों से बहा अंगार सिर्फ,कि ये क्रूर दुनिया, सिवाय ज्वाला के आंसुओं से पिघलता नहीं ाभ्रम में तुमको रखा गया है

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आसान नहीं था वो दिन मेरे लिए

13 जनवरी 2019
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उस दिन चूड़ियों से मैंअपने हाथ की नब्ज नहीं काटी , और न ही स्लीपिंग पिल्स का एक्स्ट्रा डोज लेकर , गहरी नींद में हमेशा के लिए सो गयी थी ,जैसा की फिल्मों में अक्सर नायिका करती है ा आसान नहीं था वो दिन मेरे लिए ,टूटे दिल के तमाम टुकड़े को समेटकर ,बनावटी मुस्कुराहट के पू

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वीर सिपाही

16 फरवरी 2019
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हो वीरता का संचार तुम , इस मातृभूमि का लाल तुम ,तुम गूंजते हो खुले आसमान में ,तुम दहाड़ते हो युद्ध के मैदान में ,कभी रुकते नहीं कदम तुम्हारे ,थकते नहीं बदन तुम्हारे ,हो क्रांति का एक मिशाल तुम ,शेरनी माँ का शेर औलाद तुम ,जो सर कटाए दे

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मुझसे ही मुझको ढूँढ़कर मुझसे मिला रहा है वो

17 फरवरी 2019
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स्याही में कोई बेजुवान साया घुला है जैसे , एक मासूम चेहरा अक्षरों से तक रहा है मुझको ,मेरे बंद मुट्ठी में तस्वीर जिसका भी हो ,अपने नाम में मेरा नाम ढूँढ रहा है वो ा इश्क का हमसफ़र कभी बदलता नहीं ,धडकनों पर लिखा चेहरा कभी मिटता नहीं ,

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शायरी

2 मार्च 2019
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हाँ रचती है मेरे हाथों में मेहँदी तुम्हारे नाम की , ये चूड़ी , ये बिंदी , ये सिंदूर भी है तुम्हारे नाम की ,याद रखना ये समर्पण है मेरा,इसे तुम मेरी जंजीर मत समझना ,अगर तुम इसे जंजीर समझोगे तो आता है मुझे इस जंजीर को तोड़ फेंकना ा

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कोई उसकी फिक्र क्यों नहीं करता ?

5 मार्च 2019
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आजकल वो लड़की बड़ी गुमसुम सी रहती है , हमेशा बेफिक्र रहने वाली ,आजकल कुछ तो फिक्र में रहती है ा अल्हड़ सी वो लड़की ,हर बात पर बेबाक हंसने वाली ,आजकल चुप-चुप सी रहती है ा आँखों में मस्ती , चेहरे पर नादानी ,खुद में ही अलमस्त रहने वाली ,हमेश

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जो बात छिपाये हो तुम होठों में कहीं ,आज नैनों को सब कहने दो न ा

10 मार्च 2019
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जो बात छिपाए हो तुम होठों में कहीं , आज नैनों को सब कहने दो न , कई जन्मों से प्यासी है ये निगाहें , आज मेरी जुल्फों में ही रह लो न ा एक लम्हा जो नहीं कटता तेरे बिन ,उम्र कैसा कटेगा तुम बिन वो साथिया ,छ

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शायरी

11 मार्च 2019
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मुझे देवी कहलाने का शौक नहीं , मुझे इंसान ही रहने दो ,मत जकड़ो मुझे बेड़ियों में , मुझे आज़ाद ही रहने दो , नहीं चाहिए मुझे पल दो पल का दिखावटी सम्मान ,कुछ देना ही है तो मुझे मेरा आसमान दे दो ा

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शायरी

11 मार्च 2019
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ऐ ज़िन्दगी मेरी तबाही पर इतना वक़्त न जाया कर , मैं तेरे हर वार को हँसते हुए सह लूँगी ,मुझे हारने की आदत नहीं ,और तू जीत जाए ये मैं होने नहीं दूँगी ा

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सच कहूँ तो आज बाबा की मजबूरी सी हूँ

16 मार्च 2019
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आज फिर मैं बोझ सी लगी हूँ , यूँ तो मैं बाबा की गुड़िया रानी हूँ ,पर सच कहाँ बदलता है झूठे दिल्लासों से ,सच कहूँ तो आज बाबा की मजबूरी सी हूँ ा उनके माथे की सिलवटें बता रही है ,कितने चिंतित है मगर जताते नहीं है वो ,अपनी गुड़िया को ए

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हर एक साँस मैं तुम्हे लौटा दूँगी

21 मार्च 2019
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सबकी नज़रों में सबकुछ था मेरे पास , लेकिन सच कहूँ तो खोने को कुछ भी नहीं था मेरे पास ,एक रेगिस्तान सी जमीन थी ,जिसपर पौधा तो था लेकिन सब काँटेदार ,धूप की गर्दिश में मुझे मेरी ही जमीन तपती थी ,कुछ छाले थे ह्रदय पर ,जो रेत की छुअन

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शायरी

26 मार्च 2019
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अगर चुभे तुझे कोई काँटा कभी , मैं फूल बन तेरी राहों में बिछ जाऊँ , है यही दिल की ख्वाहिश , तेरे हर जख्म का मैं ही मरहम बन जाऊँ ,बस धीरे से मेरा नाम पुकारना , अगर रह जाओ कभी तुम तनहा ,मैं सुन के तुम्हारी धड़कन बिहार से एम.पी. दौड़ी चली

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समंदर के उस पार

31 मार्च 2019
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ये वही जगह है जहाँ पहली दफा मैं उससे मिली थी , हर शाम की तरह उस शाम भी मैं अपनी तन्हाई यहाँ काटने आई थी ,मुझे समंदर से बातें करने की आदत थी ,और मैं अपनी हर एक बात लहरों को बताया करती थी ,अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे समंदर के उस पा

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बालिका यौन शोषण

26 अप्रैल 2019
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वो कौन है जो हम में इतनी आक्रोश भरता है ? हमारी मासूमियत को नोच कर खुद को मर्द कहता है ??? ये महज कुछ शब्दों की पंक्तियाँ नहीं है ा इन पंक्तिओं में हमारे देश की लाखों लड़किओं का दर्द छिपा हुआ है जो बचपन में कभी न

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पर्वत और रेत

28 अप्रैल 2019
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एक भीड़ चल रही थी पर्वत की ओर , अपना काफिला सजा मंजिल की ओर ,ये बदकिस्मती थी मेरी या खुशनसीबी ,उसी भीड़ में मेरी काया भी चल रही थी ,कितना ऊँचा ललाट था उस पर्वत का ,एक कम्पन सा उठा मेरे फूलते साँस में ,पाँव थककर वहीं ठिठक सा गया ,तभ

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सांसों का बोझ

30 अप्रैल 2019
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वक़्त जितना सीखा रही है ,उतनी तो मेरी साँसें भी नहीं है देह का अंग-अंग टुटा पड़ा है ,रूह फिर भी जिस्म में समाया हुआ है ,मेरे साँसों पर अगर मेरी मर्जी होती ,तो कबका मैं इसका गला घोंट देती ,मगर जीने की रस्म है जो मुझे निभाना पर रहा है ,मेरा मीत जो है गीत

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जन्मदिन शेर

2 मई 2019
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एक गुजीदा गुलाब भेजूँ आपको या पूरा गुलिस्ता ही भेंट कर दूँ आपको , शेर लिखूँ आपके लिए या ग़ज़ल में ही शामिल कर दूँ आपको ,रवि हैं आप , हमेशा आफ़ताब की तरह चमकते रहे जहान में ,अँधेरे वक्त में भी पूनम का साथ हो, मेरे खुदा से यही दुआ है आपको ा

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कितनी बाबरी सी लड़की है वो

3 मई 2019
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कितनी बाबली सी लड़की है वो , उसके दरवज्जे का चिराग हवा बुझा कर चली जाती है ,और वह जुगनू को सीसे में कैद कर देती है ,फूलों का रंग तितलियाँ चुरा ले जाती है ,और वह भँवरे से लड़ बैठती है ,आखिर कौन उसको समझाए

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रोज आते थे मेरे छत पर सैकड़ों कबूतर

6 मई 2019
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रोज आते थे मेरे छत पर सैकड़ों कबूतर , आस-पास के ही किसी छत से उड़कर ,आल्हा -ताला की कसम मेरे इरादे में कोई बेईमानी नहीं थी ,मैं कोई शिकारी नहीं एक जमीन्दार की लड़की थी ,एक काल से दूसरा काल बिता ,कई अनेक वर्षों तक सबको भरपेट दाना मिला ,ब

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ये आसमान मेरा गला सुख रहा है

20 जून 2019
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तप-तप कर यह जल रही है , देखो तेरी धरा मर रही है ,ऐ आसमा मेरा गला सुख रहा है ,तेरी बेरुखी से मेरा दिल दुःख रहा है ,मैं प्यासी हूँ , जग प्यासा है ,देखो इस धरा का कण कण प्यासा है ,विकल पंछी चोंच खोलकर तुम्हारी तरफ देख रहा है ,है तुम्

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तस्वीर

21 जून 2019
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एक तस्वीर है मेरी आँखों में , मैं नहीं जानती यह तस्वीर किसका है ,शायद ये किसी जनम का एक ख्याली सच है ,जो हमेशा मेरी तस्वुर में बहता है ,मैं खुद में रहूँ या न रहूँ ,मगर यह तस्वीर मुझमें हमेशा रहता है ,यह तस्वीर भी बेरंग है ,बिलकुल म

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मेरी डायरी

25 जून 2019
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क्या लिखा होता है मेरी डायरी में यही कुछ नज्में कुछ शायरी कुछ गजलें और कुछ आधी अधूरी सी कविताएँ और इन्ही कविताओं में कुछ रोता बिलखता ,कुछ टुटा फूटा कुछ ख्यालों में खोया ,और कुछ खुद में ही बातें करता हुआ शब्द कुछ पन्नों पर स्याही पि

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