हमे लगता है हम एक दिन पर्यावरण दिवस मनाने से पर्यावरण की समस्त व्याधियां समाप्त हो जाएगी। लेकिन हम एक भरम में है। केवल औपचारिकता पूरी करने से पर्यावरण संरक्षित नही होगा। इसके लिए विधिवत कानून बनाना एवं मानना होगा। जन जन तक इससे होने वाले लाभ व हानि से रूबरू कराना होगा। लोकतांत्रिक देश होने के नाते जनता की प्राथमिकता बनती है की पर्यावरण के प्रति जागरूक हो। सरकार को ही सदैव जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। न कुछ तो भविष्य में अपनी चिता में लगने वाली लकड़ियों के लिये एक वृक्ष अवश्य रोपित करें।
सुरक्षित पर्यावरण, समृद्ध जीवन।