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भारत की प्रगति में बाधक है अंग्रेजी

22 फरवरी 2017

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featured imagehttps://youtu.be/gGpT5EvNEx0 21 फरवरी जिसे अंतराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है । भारत में जब भी बात होती है हिंदी और उसकी सहयोगी अन्य भारतीय भाषाओ की तब अंग्रेजी की अनिवार्यता के लिए   तर्क दिया जाता है की अंग्रेजी के बिना विज्ञान और तकनिकी सम्भव नहीं है अंग्रेजी के बिना न्यायालय निर्णय नहीं दे पाएंगे । साथियो आइये इस झूठ का पर्दाफाश करते है । आप सोचिये 1947 भारत की आजादी के पश्चात बहुत से देश है जो भारत के बहुत बाद आजाद हुए है इसके बावजूद वो देश विज्ञान और तकनिकी के मामले में आज विश्व की अग्रिम पंक्ति में खड़े है आप जानते हो इसके पीछे कारण क्या है सबसे बड़ा कारण है इन देशों ने अपनी मातृ भाषा को अपनी राष्ट्र भाषा बना लिया । 1.झूठ बहुराष्ट्रीय कम्पनियो में कार्य करने लिए अंग्रेजी अनिवार्य है आज हमारे देश में एक अभियान चलाया जा रहा है जिसका नाम है मेक इन इंडिया आइये देखते है जो कम्पनिया भारत आ रही है या पहले से कारोबार कर रही है इन कम्पनियो के देश की राष्ट्रभाषा क्या है ..? पुरे एशिया में वर्तमान में चोटि की 1000 हजार कम्पनियो में से 792 कम्पनिया उन देशों की है जिनकी आधिकारिक या राष्ट्रभाषा अंग्रेजी नहीं है । वो देश है जर्मनी ,जापान , इजराइल ,दक्षिण कोरिया चीन इत्यादि । एक उदाहरण से समझिये हमे तर्क दिया जाता है कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियो में बिना अंग्रेजी के ज्ञान में काम नहीं मिलेगा ये सरासर सफेद झूठ है । दक्षिण कोरिया की कम्पनी है सैमसंग जिसकी मूल भाषा कोरियन है ये कम्पनी जब डेनमार्क में जाती है तो डेनिश में कार्य करती है थाईलैंड में जाती है तो थाई में स्वीडन में जाती है तो स्वीडिश में कार्य करती है लेकिन वही कम्पनी जब भारत आती है तब अंग्रेजी में कार्य करती है हां आज हिंदी के बढ़ते हुए चलन के कारण अब ये भारतीय भाषाओं को भी अपना रही है । 2. सफेद झूठ अंग्रेजी के बिना विज्ञान और तकनीकी नहीं आएगी आज तकनिकी और अविष्कार की बात की जाए तो पिछले वर्ष के आंकड़े है जिस पर भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक भारत रत्न से सम्मानित प्रोफ़ेसर  सी इन राव ने काशी हिंदू विश्व विधालय में देश की शिक्षा व्यवस्था और लचर शोध पर  चिंता व्यक्त की थी । चीन में विज्ञान और तकनिकी पर 22 हजार शोध हुए है दूसरी तरफ भारत में महज 8 हजार । अब आप सभी लोग जानते है चीन में अंग्रेजी साक्षरता केवल   -   0.73% चीन द्वारा किये गए शोध  22 हजार भारत में अंग्रेजी साक्षरता।        -     20% भारत द्वारा किये गए शोध 8 हजार अब आप लोग स्वंय आकलन कीजिये क्या विज्ञान और तकनिकी के लिए मातृ भाषा जरूरी है या गुलामी की भाषा अंग्रेजी..? एक और उदारहण इजरायल का तकनिकी और नए अविष्कारों के मामले में इजराइल सर्वश्रेष्ठ है विश्व के चोटी के  विश्वविधालयो में इजरायल का विश्वविधालय 18 वी पायदान पर है दूसरी तरफ भारत अंग्रेजी द्वारा संचालित भारत में स्थित आई आई टी में से एक भी ऐसा नहीं है जो चोटी के 100 तकनिकी के विश्व विधालयो में सम्मलित हो । 3.झूठ बिना अंग्रेजी के न्याय सम्भव नहीं है अंग्रेज और अंग्रेजी का भारत में आगमन महज 200 या 250 वर्ष से है आप सोचिये क्या 200 वर्ष पूर्व किसी को न्याय नहीं मिलता होगा ..? अब हम प्राचीन भारत की बात करते है  भारत के न्यायप्रिय राजा चरावर्ती सम्राट  विक्रमादित्य जी का न्याय विश्वप्रसिद्ध है ये तो एक राजा है ऐसे न जाने हजारो प्रमाण आज भी मौजूद है । आज भी सर्वोच्च न्यायालय में अंग्रेजी में न्याय मिलता है इसका  कारण कुछ और है आप जानना चाहते है तो सुनिये । भारत के उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय तक एक अरब से ज्यादा आबादी वाले भारत में 168 परिवार है इन्ही परिवारों में से देश के शीर्ष न्यायालय के 90 % सदस्य जज बनते है । इन  168 परिवारो ने भारतीय न्यायिक व्यवस्था को अंग्रेजी का गुलाम बना रखा है । 4.झूठ बिना अंग्रेजी के आर्थिक समृद्धि नहीं आएगी केंद्र सरकार आज चिंतित है क्याकि चीन के साथ व्यापार घाटा कम नहीं हो रहा है । व्यापर घाटा 2015 में 45 अरब डॉलर 2016 में 46.56 अरब डॉलर था एक तरफ  भारत का व्यापार घाटा बढ़ रहा दूसरी तरफ मेक इन इंडिया का अभियान चल रहा है बावजूद इसके चीन को होने वाले निर्यात में 12% की कमी आई है यह प्रश्नचिन्ह है केंद्र पर नहीं  अंग्रेजी पर है जिसके ऊपर चायनीज हावी है । ये परिस्थियां बदल सकती है यदि भारत हिंदी सहित अनेको भारतीय भाषाओ के आगे से अंग्रेजी का बेरियर यदि हटा दे । आप विचार कीजिये हम एक गाना सुनते है जंहा डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती थी बसेरा वह भारत देश है मेरा । ये महज गाना नहीं भारत का गौरवशाली अतीत है मतलब अंग्रेजो से पहले का भारत जिसके बारे में महान इतिहास कर स्वर्गीय धर्मपाल जी ने विस्तार से लिखा है और उनका महान शिष्य असली भारत रत्न भाई राजीव दीक्षित जी ने विस्तार से बताया है । आखिर जब हमारे देश में अंग्रेजी नहीं थी तब भारत बिना सोना पैदा किये कैसे बन गया सोने की चिड़िया कारण केवल एक भारत की शिक्षा व्यवस्था का आधार स्तम्भ मातृ भाषा थी । जर्मनी ,जापान ,ब्राजील , चीन , इजराइल , फिनलैंड डेनमार्क , स्वीडन , नॉर्वे इसमें नार्वे जैसे कुछ देश तो ऐसे है जो भारत के किसी एक जिले के बराबर है परंतु आज भी अपनी मातृ भाषा को राष्ट्रभाषा बना कर स्वाभिमान के साथ सीना तान कर विश्वसमुदाय के सामने खड़े है । अपनी मातृ भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने वाले ये  देश आज  ये विज्ञान एवं  तकनीकी या आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है । आप सभी को अंतराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं मातृभाषा दिन पर संकल्प करें कि अपनी मातृभाषा के प्रति सच्ची  निष्ठा व आदर का भाव रखेंगे और उसके लिए गौरव का अनुभव करेंगे । मातृभाषा संस्कारों व बौद्धिक विकास की प्रथम सीढ़ी है, संकल्प करें कि हमारे देश के शहीदों ने जैसे अंग्रेजो को मार भगाया था हम हिंदी सहित भारतीय भाषाओं की सबसे बड़ी बाधक अंग्रेजी के अनिवार्यता के बेरियर को हटा कर अंग्रेजी की गुलामी को मिटा देंगे । अब आपके सामने प्रश्न होगा हम क्या करे ..? पूर्वजो की गौरव गाथाएं जो हमे उत्तम कार्य के लिए उत्प्रेरित करे उसे इतिहास कहते है उपरोक्त में एक ऐसे ही मातृभाषा प्रेमी ऐतिहासिक महापुरुष के व्याख्यान का  एक यू टियूब लिंक है जिन्हें आप भाई राजीव दीक्षित जी के नाम से जानते है उन्हें सुनिये और उनके विचारों को अपने जीवन में धारण कीजिये । पसीने से जमी अपनी वतन अपना सजायेंगे गुलामी की लकीरों को खुरच करके मिटायेंगे जय हिंद जय भारत भारतीयता की सदैव जय हो स्वदेशी रक्षक

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