हर गली में गूँज रहे नारे
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
बेटी हम बचाएँगे, तभी तो बेटी पढ़ाएँगे।
बेटी नहीं होगी तो
कहाँ से आएँगी बहू बहनें और माँ।
छेड़ा है हमने सृष्टि को, रोका दुर्गा और लक्ष्मी को।
अब रोक लगाना है लिंग परीक्षण पर,
और रक्षा करना है बेटियों की।
जब बेटी बेटा से एक क़दम है आगे तो फ़र्क़ क्यूँ,
उनके जन्म में रोक क्यों।
बीड़ा आज उठाना है, बेटी को बचाना है।
बेटियाँ ग़ुरूर हैं, अभिमान हैं हमारा।
कोमल फूल हैं बेटियाँ, खिलती नहीं हर घर में।
खिलती हैं जिस घर में, महकती हैं आँगन में।
रोशन करती नाम सानिया कल्पना बनकर,
बेटियाँ हैं हर घर की रौनक़। उनको है बचाना।
शिक्षा देंगे जब हम बेटी को
शिक्षित होगा समाज।
एक शिक्षित माँ बच्चे को देगी ज्ञान और संस्कार,
बढ़ेगा देश का अभिमान, बेटी का मान सम्मान।
बेटी हम बचाएँगे और ख़ूब पढ़ाएँगे।