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षडयंत्र सनातन को भ्रष्ठ करने की।

4 दिसम्बर 2018

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featured imageगौर कीजिए आप मुस्लिम हो,किसी दिन आप मंदिर जाते है तब क्या होगा सोचिये....? 8.8 रिएक्टर पैमाने पर एक भूकंप उठेगा जिसका केंद्र दिल्ली का जामा मस्जिद होगा,और उस भूकंप का दायरा होगा कश्मीर से कन्याकुमारी, और गुजरात से अरुणांचल प्रदेश तक फैल जाएगा,कितने मुल्लों की दाढ़ी में आरडीएक्स का जबरदस्त विस्फोट होगा जिसके नतीजा यह होगा कि फतवा पर फतवा की बौछार हो जाएगी,और बेचारा मंदिर जाने वाला मुस्लिम अंत मे मंदिर में जाने पर माफी मांग कर दो शब्द मंदिर पर अपशब्द प्रयोग कर फतवा से बच जाएगा,और वह कभी मंदिर के तरफ भूल कर नहीं देखेगा। अब आते है मुद्दे की बात पर..... एक मोहतरमा उनका नाम जामा मस्जिद के दीवारों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा, उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर कुछ महीनों से विवादों से घिरा हुआ है,या कहा जाय जानबूझ कर विवादित बनाया जा रहा है। उम्र 32 वर्ष भारतीय संचार निगम लिमिटेड में टेलीकॉम टेक्नीशियन पद पर कार्यरत रेहाना फातिमा को मंदिर से बड़ा प्रेम हो गया है,वह सबरीमाला मंदिर के स्वामी अयप्पा के दर्शन करने का भूत सवार हो गया सायद कभी मंदिर न जाने वाली को स्वामी अयप्पा के दर्शन का भूत सवार होना,यह सनातन के आस्था और विश्वास के गला घोंटने का एक मार्ग है,हाथ मे रुद्राक्ष की माला माथे पर त्रिपुण्ड, और स्वामी अयप्पा के मंदिर में जाने से पहले पहनने वाले काले कपड़े,तक तो ठीक है उसके बाद अपने गोरे जांघो का प्रदर्शन करना सनातनी परंपराओं उसके आस्था और विश्वाश को एक घृणित कार्य करने का प्रयास किया जाना यह साबित करता है कि इसमें इस्लामिक ताकतों का पूरा समर्थन व सहयोग है। विचारणीय यह है कि जिस समाज मे बुरखा स्त्रियों के लिए अनिवार्य है वह समाज और मजहब कैसे एक स्त्री को मंदिर जाते देख सकता है,वह कैसे एक स्त्री के द्वारा बुरखा से बाहर अपने जांघो का प्रदर्शन देख सकता है? प्रश्न यह उठता है कि इस्लाम को बढ़ाने वाले उसके अनुयायी क्या इतना गिर गये है कि एक स्त्री का उपयोग सनातन को बदनाम और उसको पथभ्रष्ट करने के लिए करेगा और कितना गिरेगा इस्लाम। कहाँ गयी बुरखा प्रथा? कहाँ गए जामा मस्जिद के मौलवी,जो किसी के मंदिर जाने पर फतवा जारी करते है? क्या फतवा सिर्फ उनके लिए होता है जो राम का नाम लें? क्या फतवा सनातन को बदनाम करने वालो के लिए नहीं होता है? ......विचारणीय ..........अनुराग पाण्डेय अधिवक्ता वाराणसी।।

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