एक गीत प्रेयसी के जन्मदिन पर ----
मुस्कुराते चाँद के चेहरे की रंगत कह रही है!
मस्त पुरवा में महक महुए की संगत कह रही है!
होश में रहना कठिन है!
आज उनका जन्मदिन है!!
रात भर बुनती रही नीलम परी तारों कि चूनर!
चाँदनी चालक ज्यादा दे गई चुपचाप छूकर!
सूर्य की अदभुत सुनारी हार किरणों का पिन्हाया!
जब किया सिंगार तब-तब भोर ने दर्पण दिखाया!
देख कर चितवन प्रिये की,
धूप की रंगत मलिन है!
आज उनका जन्मदिन है!!
गीत की सारी किताबें गीत खुद पढ़ने लगी हैं!
लड़खड़ाती भावनाएं सीढियाँ चढ़ने लगी है!
दिलजला हर इक पंतगा,मौत का घर छोड़ आया!
आज पहली बार पतझर फूल बनकर मुस्कुराया!
आँख से बाहर न छलके,
बस यही वह एक छिन है!
आज उनका जन्मदिन है!!
कौन सा मन्तर पढा जो कर दिया मिट्टी को सोना!
जब कि मेरे हाथ मे ही था नही धनवान होना!
पा लिया तुमको तो जाना प्यार में जादूगरी है!
वक़्त को भी मोड़ने की यार में कारीगरी है!
खोंट को कर दे खरा जो,
प्रेम की पावन अगिन है!
आज उनका जन्मदिन है!!
सरोज मिश्र