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सजाया आशियाँ लगा कर तस्वीर यूं तेरी, चले अब छोड़ बसा दिल में तस्वीर ये तेरी. (आलिम)
है चर्क की गहराई दरिया से भी ज्यादा, लिखा है मुक्क़दर और तारीख़-ए-ज़माना,है लिखी होगी वही दास्तान-ए-मोहब्बत ,ना शमा को पता है न जाने परवाना. (आलिम)
क्यूँ फ़िक्र करे उनकी जो बेफिक्र है खुद से, क्यूँ फ़िक्र करे उनकी जो बाफ़िक्र है खुद से, परदे में है पर्दानशीं और शाख पे उल्लू है, फ़िक्र नाज़नीन की और ख़ुद से बेफिक्र है. (आलिम)
ज़माने ने ज़ुदा न किया लैला को मज़नू से, मिलेगी हूर जन्नत में कह किसी वहशी ने ,मज़नू को इंसा से शैतान बनाया होगा, हाथ में कैस के दे बारूद दहशतग़र्द बनाया होगा. (आलिम)
शुक्रे-अल्लाह हमसे ये काफ़िर सनम अच्छे रहे, हक़-परस्तो बुत-परस्ती में भी हम अच्छे रहे.
कुदरत का तमाशा है या तक़दीर-ए-मोहब्बत,होता है इश्क उनसे जिन्हे परवाह भी नहीं है. (आलिम)
इस जहाँ में आके हम क्या कर चले बारे-इस्यां सर पे अपने घर चले.
डर नहीं मुझको तेरे आने का,डर है तेरे आके चले जाने का.लगाके दिल फिर तोड़ जाने का, चमन - ए - जिंदगी उजड़ जाने का. (आलिम)
समझते जो नहीं खुद को, समझाते यु हमको है.सुना के मन की बात अपनी,हमें सपने दिखाते है.
समझते जो नहीं खुद को, समझाते वो यु हमको, करके बात मन की वो,हमें सपने दिखाते है. (आलिम)