shabd-logo

साहसी बालिका

16 अगस्त 2022

19 बार देखा गया 19
7 वर्षीय खुशी बहुत प्यारी बच्ची है |
 वह रोज स्कूल जाती है कोई बहाना नहीं बनाती है बड़ों का कहना मानती है| उनका आदर करती है यानी वह अपने नाम को सार्थक करते हुए पूरे परिवार की खुशी है| बुद्धि मती भी है वह स्कूल से आकर खाना खाती है फिर 1 घंटा रोज सो जाती है|उठने के बाद सबसे पहले वह अपना होमवर्क करती है |फिर रोज शाम में अपने दोस्तों के साथ बात में खेलने जाती है |घर के समीप से पार्क है कुछ दिन पहले की बात है वह पार्क में खेलने गई थी जब शाम होने लगी तब सब बच्चे खेल बंद करके अपने अपने घर वापस जाने लगे २-४ बुजुर्ग टहल रहे थे| एकाएक खुशी की नजर एक बार्बी डॉल पर पड़ी |वह बहुत खूबसूरत डॉल पार के गेट के पास कचनार के फूलों की झाड़ियों के निकट पड़ा था |खुशी की इच्छा हुई उठा ले लेकिन दूसरों की चीज नहीं लेनी चाहिए| वह थोड़ी देर खड़ी होकर सोचने लगी कि डॉल उठाकर माली को दे देते हैं  जिसका डॉल होगा उसी को दे देगा| वह डॉल को उठाने के लिए बड़ी तभी उसके मन में विचार आया -` खबरदार ´ उसे छूना मत  | यह लावारिस चीज है जगह जगह पर लिखी हुई यह बात याद आने लगी| आजकल बस में भी लिखा रहता है- अपनी सीट के आगे पीछे नीचे ऊपर सब जगह देख लो अगर कोई लावारिस चीज़ दिखे तो तुरंत पुलिस को खबर करो | वह माली के पास गई बिल्कुल घबराई  नहीं| माली फूलों में पानी डाल रहा था खुशी ने जब उसे बताया कि कचनार के फूलों के झुरमुट में एक लावारिस डॉल पड़ा है  तब माली ने इसकी बातों को अनसुना करते हुए कहा कोई बात नहीं जिसका है वह ले जाएगा जब इसने माली को चलकर देखने के लिए कहा तो माली बोला मैं अभी उधर से ही पानी पटा कर आ रहा हूं तुम घर जाओ मैं बाद में देख लूंगा अभी काम करने दो|  खुशी वहां रुक कर समय बर्बाद नहीं कि उसने पार्क में टहलते हुए एक बुजुर्ग व्यक्ति से कहा -दादू  वहां पर कोई लावारिस डॉल पड़ी है| वह तुरंत वहां कर देखें| वहां बच्चों की भीड़ भीड़ जमा थी फिर उन्होंने अपने मोबाइल से पुलिस को फोन किया |माली से कहकर उन्होंने पार्क   खाली करवाया| खुशी ने घर जाकर अपनी मां को बताया |मां खुश हो गए |उसने कहा तुमने दादू और मालिक को बता कर बहुत अच्छा किया लेकिन अब तुम घर में रहो बाहर नहीं निकलना| आनन-फानन में बम निरोधक दस्ता पार्क में पहुंच गया और एक बहुत बड़ा हादसा   टल गया| सब ने खुशी की खूब प्रशंसा की |दूसरे दिन अखबार वालों ने भी खुशी की बुद्धिमानी और साहस  को सराहा और एक अप्रिय घटना टल जाने के बारे में लिखा|  एक  प्यारी बच्ची खुशी ने कई माता-पिता के जीवन में अंधेरा होने के बजाय खुशी के दीपक जला दिए |

Shakuntla prasad की अन्य किताबें

किताब पढ़िए