आजकल आजादी का अमृत महोत्सव का प्रचार प्रसार बहुत जोर शोर से किया जा रहा है, जिसमें सरकार द्वारा राष्ट्रीय प्रतीकों को सम्मान दिए जाने के उद्देश्य से पूरे बर्ष भर कोई न कोई सप्ताह मनाकर राष्ट्रीय प्रतीकों को सम्मान दिया जाता है। जैसे ११/०८/२२ से १७/०८/२२ तक हर घर तिरंगा कार्यक्रम मनाया जाएगा।
सरकार द्वारा राष्ट्रीय प्रतीकों को सम्मान दिए जाने हेतु उठाया गया कदम सराहनीय है। आज हम अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गये परन्तु उनकी सभ्यता से अब तक आजाद नहीं हो सके हैं।
आज गरीब व अमीर सभी मंहगाई का रोना रोते हैं। गुटखा पान मसाला और शराब को खरीदने पर मंहगाई नहीं है। गैस, फल , राशन , खरीदने पर मंहगाई नजर आती है। कभी कभी कुछ लोग कहते हैं कि सरकार को बिक्री पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, लेकिन वहां वह यह भूल जाते हैं कि यदि हम न सेवन करें, तो दुकानदार किसे माल बेचेंगे।
हम सभी को मिलकर राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए। यदि हम स्वदेशी अपनाए , तो विदेशी स्वयं भाग खड़े होंगे। बर्गर,पिज्जा, चाऊमीन, मैगी, कोल्ड ड्रिंक को हटाकर सिंवयी, भेल-पूरी, चाट , गन्ने का रस, नींबू की सिकंजी को अपने घर में जगह दीजिए, बिजली की झालर की जगह दीपक जलाएं।
प्रतीकों को याद दिलाने का मतलब यही है कि आज हम उनकी अहमियत भूल गए हैं और फिर से गुलाम बनने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं।
"करत करत अभ्यास से, जड़मत होत सुजान।
रसरी आवत जात से, सिल पर परत निशान।"
एक दिन अवश्य मा०प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री जी द्वारा चलाई जा रही मुहिम सार्थक होगी, परन्तु इसके लिए हम सभी को एकजुट होना पड़ेगा।
"जय हिन्द, जय भारत।"