१. ईमानदारी का भरपूर समर्थन महागठबंधन को, अच्छा सिला दिया तूने मेरा साथ का दिल्ली में ही लूट लिया ईमान यार का? दिल्ली में हार को भूली नहीं है ये राजनीती है, दोस्त दोस्त न रहा प्यार प्यार न रहा देश का राजनैतिक इतिहास तो यही कहता है?
२. किसी भी राजनैतिक दल का दिल नहीं पसीजा सेना के लिए क्यों, क्या वे देश के नागरिक नहीं या वोट बैंक नहीं है?
३. जिस दिन से देश के राजनेता आरक्षित कोटे से बने डॉक्टर से अपना इलाज कराएँगे उसी दिन से ये आरक्षण को संरक्षण देना बंद कर देंगे? आरक्षण नहीं योग्य बनाये ज़िन्दगी जीने लायक बनाये, आरक्षण रूपी भीख के जरिये वोट बैंक बनाने से परहेज करें, देश तरक्की करेगा?