विकल्प तो मानती है और मान भी चुकी है AAP को पांच नदियों के प्रदेश ने दो दिनों की हालिया दौरा लुधियाना और मलेरकोटला तो यही कहता है! प्रदेश में राजनीती का राजनैतिक समाधान भी AAP और पारम्परिक राजनीती के परम्पराओं के मद्देनजर जनता समस्या से भी इंकार नहीं कर रही है, समाधान और समस्या के दोराहे पर आशंकित जनता किसको चुने आसमंजस्य में है? मतलब राजनैतिक समाधान के साथ प्रादेशिक समस्या से दो चार नहीं होना चाहती है!
समस्याओं के समाधान हेतु कूटनीति की जगह टकराव को तबज्जो की नई राजनीती को अपना सफर आगे भी तय करना है! चाणक्य के मूलमंत्र को अपनानी चाहिए अगर राजनीती में लम्बे समय तक टिके रहना है तो दंड और भेद के सहारे अगर काम नहीं कर रहें है तो बाकि नीतियों में अमल का विकल्प खुला हुआ है, नहीं तो बिखराव में रास्ता खुला है जिसपर कोई ट्रैफिक नहीं है की सम विषम का फैसला लेना पड़े?
बात समझ में आये तो सही है नहीं तो अपनी तो डफली अपना राग समाधान और समस्या से दो चार दिल्ली की जनता तरह हम पास पास है और समस्या आस पास है दो नो ही बेहतरीन फिल्म है देखनी चाहिए?