भाषण से पेट नहीं भरता राशन चाहिए,
वायदों से देश नहीं चलता जमीनी हकीकत क्या है?
अपने ही किये कराये पर उछल कूद क्यों और किसलिए,
वक़्त रहते है ऐयाशी की और अब जब ज़मीन खिसक गई तब जनता याद आ गई?
गरीब क्यों गरीब है अमीर क्यों अमीर है इसका जबाब इस देश की राजनीती से अच्छा कोई दे ही नहीं सकता?
देश की राजनीती में परिवारवाद पे चोट से क्यों राजनीती घायल और समर्थक चोटिल हो जाते है, क्या खैरात की रोटी बंद हो जाती है?
खैरात के दम पर कब तक देश खोखला होता रहेगा इस सवाल का जबाब देश की जनता से बेहतर कोई दे नहीं सकता?