यूनिवर्सिटी ऑफ़ हैदराबाद और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी दोनों में एक समानता है वामपंथी सोच हावी है? यूनिवर्सिटी ऑफ़ हैदराबाद की घटना सत्ताधारी मंत्री के पत्राचार के कारन अलग रूप ले लिया जिसे राजनैतिक दलों ने वोट बैंक के लिए भुनाया और उसे राजनैतिक पर्यटक स्थल के रूप में तब्दील किया!
क्या जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की घटना भी वामपंथी और देशद्रोही सोच की कहानी को व्यान करती है, घटित घटना का राजनैतिक पर्यटक स्थल में तब्दील ना इस शक को बल देता है? देश के भीतर देशद्रोही नारों का गूंजना देश के लिए शर्मनाक है और उन सभी राजनैतिक दलों का रवैया भी निंदनीय है जो हैदराबाद की घटना पर प्रतिक्रिया देता है और दिल्ली की घटना पर चुप्पी साध लेते है?
हैदराबाद की घटना वामपंथी सोच के लिए वरदान और दिल्ली की घटना उसी वामपंथी सोच के लिए ताबूत में वो कील साबित होगी जिसकी किले उखाड़ने के लिए बर्षो संघर्ष करना पड़ेगा!
इस सोच में दिल्ली वाला यूनिवर्सिटी जिसके नाम से है उनकी भी सोच कहीं शामिल तो कही नहीं है, हालिया खुलासे से तो यही संकेत मिल रहे है?