shabd-logo

बाल- विवाह

12 नवम्बर 2022

8 बार देखा गया 8
सावन का महीना था और प्रकृति अपना सौंदर्य दिखा रहीं थीं।सभी किसान अपने-अपने खेतों को जोत रहे थे और राम भी अपने खेत को जोत रहा था। वह बहुत ही गरीब था और उसकी एकमात्र बेटी पूजा थी उसकी उम्र करीबन 15 वर्ष थीं। सोच रहा था कि अब उसकी बेटी पूजा की शादी कर देनी चाहिए  कुछ समय बाद में  राम ने अपनी बेटी पूजा के लिए लड़का ढुंढा और उसका नाम मोहित था और उसके पिता जी हरिशंकर बहुत ही बड़े जमींदार थे। पूजा भी इस रिश्ते से खुश थी कि अब वह अपने ससुराल में महारानी की तरह अपना जीवन व्यतीत करेंगी।  परन्तु एक वर्ष के बाद हरिशंकर शादी के लिए कहा पर राम की फसल में नुकसान होने के कारण उसके पास शादी के लिए पैसे नहीं थे पर बेचारे ने जमींदार से हाथ जोड़कर विनती की किवी पूजा की शादी अगले साल कर देगा क्योंकि उसकी फसल खराब हो गई थी। हरिशंकर मानने को तैयार नहीं थे इसलिए राम ने अपने पड़ोसीयों से कुछ पैसे उधार लेकर उन्हें पूजा की शादी सोलह वर्ष की अल्पायु में करनी पड़ी  । कुछ भी दहेज न देने के कारण उसकी बेटी के साथ रोज़ मारपीट होती थी पर वह बेचारा अनपढ़ था इसलिए कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं की । पूजा को रोज़ ताने सुनने पड़ते थे  और समय पर खाना भी नहीं देते थे पर बेचारी ने सपने तो बहुत ही बड़े बड़े देख रखें थे पर जैसा मुझे लगता था कि उसके सपनों के विपरित हों गया था। ऐसी जिंदगी से हार कर उसने अपने प्राण त्याग दिए थे।।


किताब पढ़िए

लेख पढ़िए