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अंधकार

4 सितम्बर 2022

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अंधकार मनुष्यों पर दया करो, किंतु उनकी बुराइयों से लड़ो।' आत्मा किसी की बुरी नहीं होती, वह तो सत्य है, शिव है एवं सच्चिदानंद का स्वरूप है। बुराई तो अज्ञान के कारण उत्पन्न होती है। हर व्यक्ति को पवित्र आत्मा समझिए, क्योंकि कोई भी प्राणी पतित या पापी नहीं है। जब कोई व्यक्ति बीमार होता है तब हम उसकी बीमारी का इलाज कराते है एवं उसे और अधिक स्नेह देते है, क्योंकि उस बीमारी के कारण उसमें मनोबल तथा सहने एवं समझने की शक्ति क्षीण हो गई होती है, तो बुराई वाले मनुष्य के साथ विपरीत व्यवहार क्यों? अपितु उसके साथ तो और ही विनम्रता का व्यवहार एवं स्नेह देना चाहिए। ज्ञानी व्यक्ति अपने प्रकाश से उस अज्ञानी के जीवन में रोशनी कर सकता है। हम सबने यह कहानी तो अवश्य ही सुनी होगी कि 'एक बंदर अपने राजा को बहुत प्यार करता था, जब वह सो जाता तो पंखा करता ताकि मक्खियां उसे परेशान न करे, परंतु जब तक वह पंखा करता तब तक एक भी मक्खी न लगती, पर बंद करते ही एक मक्खी बार-बार आकर उसकी नाक पर बैठ जाती। यह देखकर उस बंदर को उस मक्खी पर क्रोध आया और वह सामने टंगी हुई तलवार को ले आया। जैसे ही पुन: वह मक्खी नाक पर बैठी वैसे ही बंदर ने राजा की नाक पर तलवार से वार कर डाला। मक्खी तो उड़ गई पर राजा न रहा।' बस ऐसे ही हम लोग भी ज्ञानी होकर भी अज्ञान का नाश नहीं वरन् उस व्यक्ति का नाश करते रहते है। 

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