अंतरिक्ष स्वरूप बहुत लुभावना लगता है। जब अंतरिक्ष के बारे में ख्याल आता है तो कितनी ही कल्पनाएं मन मस्तिक घर करती है। हर मौसम में जैसे अंतरिक्ष अपना रंग बदलता और खूबसूरत नजर आता है।
अंतरिक्ष के सितारे देख मन करता है , अंतरिक्ष के सैर कर आए। बैठे उड़न खटोले में और प्यारे से सारे तारे गिन आए,कितना प्यारा अंतरिक्ष का नजारा है, टिमटिमाते हुए जैसे हर रोज हमें बुलाते है मिलने की इच्छा रोज नई जागते है। भेज कर अपनी झिलमिलाहट संदेशा दे जाते है।
मिलने आना उनसे चुपके से कह जाते है।