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हार हरादे मुझको जो..

7 अगस्त 2022

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हारे हरा दे मुझको जो हार कि वह औकात नहीं।
मुझ में जो भी बातें हैं हार में वही बात नहीं।
मन प्रबल है जिनका जी वही तो मंजिल पाता है,
तुम खुद का ही साथी हो यहां और किसी का साथ नहीं।

©चंद्रप्रकाश साहू

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