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प्रतिमाओं की सीमा लांग दी थी उसने,मेरी लिखी हुई कविताओं से ज़्यादा अपने आप को जान गई थी वो ,फ़ासले कुछ नादन से थेलेकिन फिर भीमेरे इशारों को जान गई थी वो।