प्रतिमाओं की सीमा लांग दी थी उसने,
मेरी लिखी हुई कविताओं से ज़्यादा अपने आप को जान गई थी वो ,
फ़ासले कुछ नादन से थे
लेकिन फिर भी
मेरे इशारों को जान गई थी वो।
13 अप्रैल 2019
प्रतिमाओं की सीमा लांग दी थी उसने,
मेरी लिखी हुई कविताओं से ज़्यादा अपने आप को जान गई थी वो ,
फ़ासले कुछ नादन से थे
लेकिन फिर भी
मेरे इशारों को जान गई थी वो।
कविता बहुत पसंद आई
27 मई 2019