Arjun Prasad Author
मेरा जन्म 14 दिसंबर 1961 को एक छोटे से गांव सवापार जिला बस्ती उत्तर प्रदेश में हुआ था मेरे पिताजी एक खेतिहर मजदूर थे उस समय मेरे और सहपाठियों को पढ़ने के लिए पहली क्लास से ८ वीं तक कोई स्कूल नहीं था . सर्दी, गर्मी और बरसात में भी हमारी क्लास खुले में ही किसी बाग़ खेत और शिवाले आदि पर लगती थीं इस प्रकार मैंने स्कूल का मुंह ९वीं क्लास के बाद ही देखा . इसके बाद भी उस समय के शिक्षक इतने परिश्रमी थे अपने छात्रों को अपनी संतान की तरह ही समझते थे. उनके पढ़ाए हुए लाखों विद्यार्थियों में से मैं अकेला एक ऐसा निकला जो सचमुच अपने शिक्षकों और विद्यालयों का नाम रोशन किया ही साथ ही अपने गाँव क्षेत्र प्रान्त के साथ-साथ पाने विभाग और देश का नाम भी बखूबी रोशन किया. मैनें ८वीं कक्षा से ही लेखन कला में रूचि लेना शुरू कर दिया . इसका प्रतिफल यह हुआ कि छोटी -छोटी कहानियां लिखते -लिखते लगभग 300 कहानियां लिखकर 21 किताबों में समेट दिया साथ ही मैनें जीवनियां संस्मरण उपन्यास आतंकवाद पर्यावरण निष्पक्ष राजनीतिक समीक्षा धर्म और दर्शन संस्कृति और दर्शन बाल साहित्य ज्ञान -विज्ञानं मनोविज्ञान आदि के साथ सरकारी नीतियों के समर्थन के विषय पर भी कई पुस्तकें लिखीं. मैंने वेद और पुराणों की समीक्षा लिखकर उसे ऐतिहासिक रूप दिया इसके अतिरिक्त मैनें रूढ़ियों कुरीतियों और अन्धविश्वास के खिलाफ लिखते हुए सामाजिक उत्थान और विकास पर भी बहुत कुछ लिखा. इस प्रकार आज मैं बिलकुल अकेले 115 पुस्तकें लिखने में पूर्णतया सफल रहा हूँ . मेरी 30 पुस्तकें 9 राज्यों के उच्च शिक्षण संस्थानों में लगी हुई
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विभिन्न प्रकार की उत्कृष्ट पुस्तकें <p class="MsoNormal" style="margin: 0cm -14.65pt 0.0001pt 0cm; text-align: justify; line-height: normal; background-image: initial; background-position: initial; background-size: initial; background-rep
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<p>विभिन्न प्रकार की उत्कृष्ट पुस्तकें </p> <p class="MsoNormal" style="margin: 0cm -14.65pt 0.0001pt 0cm; text-align: justify; line-height: normal; background-image: initial; background-position: initial; background-size: initial; background-rep