ब्रह्माकृत शिव स्तोत्रम
परमपिता ब्रह्मा ने परमात्मा एवं परंब्रह्म शिव की उपासना की थी। इस स्तोत्र को ब्रह्माकृत माना जाता है। ब्रह्माजी बोले कि हे भगवान! हे रुद्र! आपका तेज अनगिनत सूर्यों के तेज सा है I रसरूप, जलमय विग्रहवाले हे भवदेव! आपको नमस्कार है Iशर्वाय क्षितिरूपाय नंदीसुरभये नमः I ईशाय वसवे सुभ्यं नमः स्पर्शमया