यश आज बहुत खुश था। रंग- बिरंगी पतंगों को वह एकटक देखता जा रहा था। लाल, नीला, हरा,कई रंग- बिरंगी पतंगें उसके सामने पड़ी थी और उन रंग-बिरंगी पतंगों को उड़ानें का ख्वाब, ये ख्वाब उसके दिल में अजीब सी हलचलें पैदा कर रही थी। उसे यकीं नहीं हो रहा था की इतनी सारी पतंगें उसके सामने पड़ी है।
3 घंटे पहले की हीं तो बात है, वह अपने भैया से पतंगों की जिद कर रहा था। पास- पड़ोस के बच्चों को पतंगें उड़ाते देख उसका भी मन करता था कि वह भी ऊँचे आसमान में पतंगें उड़ाये। लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उन पतंगों को खरीद सके। फिर भी वह अपने भैया से पतंगें लाने की जिद कर बैठा था। भैया ने उसे किसी तरह बहला- फुसला कर स्कूल भेज दिया था कि उसके स्कूल से लौटने के बाद वे उसे पतंगें दिला देगा। उन पतंगों को देखने के बाद सच में उसे किसी सपने को साकार होने जैसा लग रहा था। वह भाव- विभोर हो रहा था। उसकी खुशी की कोई सीमा नहीं थी। लेकिन उसे पता नहीं था कि इन पतंगों को लाने में भैया ने कितनी मुश्किलें झेली हैं। हर कटती पतंग के पीछे वो बस इसलिए दौड़ पड़ते थे ताकि अपने छोटे भाई को रंग- बिरंगी पतंगें दिला सके। पतंगे लूटने में कितने छाले पड़े थे उनके पैरों में। पर उन्हें इसकी परवाह नहीं थी। वो हमेशा अपने भाई के चेहरों पर मुस्कुराहटें देखना चाहता था। उसकी खुशी के लिए वह कुछ भी करने को तैयार था। यश को याद है कि जब वह पहली बार स्कूल जाने की तैयारी कर रहा था तो सबसे ज्यादा खुशी उसके भैया को हीं हो रही थी। वह उनकी आँखों मे एक अलग हीं तरह की चमक देख रहा था। चाहे यश का स्कूल का पहला दिन हो या फिर उसके कैरियर की पहली उपलब्धि, उसने भैया की आँखों मे जो गर्व महसूस किया था, शायद हीं उसने किसी और में यह बात महसूस किया होगा।
यश को पता था कि उसकी पारिवारिक हालात इतने अच्छे नहीं हैं कि वो उसे किसी अच्छे स्कूल में दाखिला दिला सके , लेकिन उसके भैया की चाहत और प्यार ने उसमें एक अलग तरह का हौसला पैदा कर दिया था जिसे वह हर वक़्त जीना चाहता था। यश अपने भैया से बहुत प्यार करता था। लेकिन शायद हीं कभी यश और कभी उसके भैया ने इस प्यार को एक-दूसरे के सामने जगजाहिर किया होगा। वो दोनों हीं इस प्यार के सुखद अहसास को खुद में जीना चाहते थे। उसे महसूस करना चाहते थे। एक -दूसरे के सामने अपनी भावना को व्यक्त करने का तरीका दोनों को नहीं पता था। लेकिन दोनों हीं इस सुखद अनुभूति को जी – भर कर जीना चाहते थे।
भाई- भाई का प्यार भी बड़ा हीं अजीब होता है, जिसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता। यश को आज भी याद है कि बर्फी- बर्फी की आवाज सुनते हीं वह भैया को अपने नन्हें हाथों से खींचकर ले जाता था ताकि वो उसे मीठी- मीठी काजू की बर्फी दिला दे और फिर वह उस बर्फी को पाकर इतना खुश हो जाता था मानो उसने दुनिया की सारी खुशियों उस बर्फी के टुकड़ों की तरह अपनी मुठ्ठी में बंद कर ली हो।
यश आज बहुत उदास था लेकिन अचानक बचपन के उन लम्हों को यादकर अनायास उसके चेहरे पर मुस्कुराहटें छा गयी थी। वह उन मुस्कुराहटों को जीना चाहता था , जी- भर के। उसकी आँखों में आँसू आ गए, पर वो खुशी के आँसू थे जो उसे उसके बचपन की यादगार लम्हों में उतारे जा रहा था। इन आंसूओं और मुस्कुराहटों के साथ – साथ एक अफसोस भी उसकी आँखों मे झलक रहा था कि वह कभी अपने भैया से अपने प्यार को अभिव्यक्त नहीं कर कर पाया।