हम सुधरेंगे जग सुधरेगा
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कभी हमने सोचा हैदेश के लिए अभी तक हमने क्या किया हैजिस भूमि पर रहते है ऊसका भी कुछ कर्ज हैउसे कैसे उतारेंगे