इंडिया संवाद ब्यूरो
पटना: बिहार की सरकार अपने वादे से मुकरती नजर आ रही है. गौरतलब है कि देशी शराब पर बैन की बात कर रही नीतीश सरकार अब खुद विदेशी शराब बेचने की तैयारी कर रही है। बताया जाता है कि सरकार यह कदम रेवेन्यू घाटे को कम करने के लिए उठाने जा रही है।
क्या था नीतीश का वादा?
चुनाव से पहले नीतीश ने राज्य में एक अप्रैल से शराब पर बैन का वादा किया था। चुनाव जीतने के एक महीने बाद सरकार वादाखिलाफी करती नजर आ रही है।
अब क्या कह रही है सरकार?
देशी शराब पर बैन की बात तो सरकार कह रही है, लेकिन विदेशी शराब अब खुद बेचेगी। एक्साइज डिपार्टमेंट ने जो प्रपोजल तैयार किया है उसमें भी केवल देशी शराब पर बैन का जिक्र है।
क्यों कर रही है सरकार ऐसा?
दरअसल, अगर सरकार शराब को पूरी तरह बैन करती है तो उसे 4000 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस होगा। सरकार यह बड़ी रकम खोना नहीं चाहती।
सरकार बेचेगी होलसेल और रिटेल में विदेशी शराब
नीतीश सरकार अब विदेशी शराब को होलसेल के साथ रिटेल में भी बेचेगी। बिहार स्टेज बेवरेज कॉरपोरेशन (बीएसबीसीएल) रिटेल में विदेशी शराब बेचने की योजना बना रहा है। एक्साइज डिपार्टमेंट ने इसके लिए वेयर हाउस खोजने की जिम्मेदारी असिस्टेंट कमिश्नर को दी है। एक्साइज कमिश्नर ने ऑर्डर दिए हैं कि जहां भी एक्साइज डिपार्टमेंट की जमीन है वहां बीएसबीसीएल के गोदाम और दुकान खोले जाएं। फिलहाल, बीएसबीसीएल केवल शराब की होलसेल थोक बिक्री करता है। उसे एमआरपी पर 2 फीसदी मुनाफा होता है। जबकि रिटेल में मुनाफा 15 फीसदी है।
देशी शराब से नुकसान ज्यादा
26 नवंबर को नीतीश ने शराब पर बैन की घोषणा करते हुए कहा था कि शराब पीने वाले दो तरह के होते हैं। पहला, वे लोग जिनके पास बेहिसाब प्रॉपर्टी और पैसा है। वे महंगी शराब पीते हैं। दूसरे, वे लोग होते हैं जो देशी और मसालेदार शराब पीते हैं जो सेहत के लिए नुकसानदेह है। ऐसी शराब ज्यादातर गरीब पीते हैं। इससे उनकी फैमिली तबाह हो जाती है।