रजनी एक खूबसूरत लड़की थी।पढ़ने के साथ- साथ काम काज मे भी होशियार थी। सबकी लाडली,सबकी प्यारी रजनी।
24 वर्ष की हो चुकी थी।सरकारी शिक्षिका के पद पर नौकरी भी कर रही थी,तो रिश्ते मिलने मे की परेशानी नही हुई। कमल जो खुद एक कंपनी मे काम कर रहा था, रजनी उसे एक ही बार मे और रजनी को वो एक ही बार मे पसंद आ गया।
4 महीने बाद दोनो की बहुत ही धूमधाम से शादी हुई। पर रजनी को ये न पता था की ससुराल वालो ने उसकी नौकरी और काम में कुशलता को देख के शादी की थी। रजनी भी नौकरी और घर दोनो को अच्छी तरह सँभाल रही थी। कुछ समय बाद रजनी को एक प्यारी सी बेटी हुई। ससुराल वालो को लड़के की उम्मीद थी। वो बच्ची उन के लिए बोझ बन गयी थी,पर रजनी की नौकरी और पैसो के कारण वो कुछ बोल न पाए।
धीरे -धीरे समय बीतता गया। बेटी भी 8 महीने की हो गयी थी। एक दिन जब रजनी अपनी नौकरी से लौट रही थी,रास्ते मे उसका बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया। जिसके कारण वो हमेशा के लिए अपाहिज हो गयी।। ससुराल वालो के लिए अब उसकी बेटी के साथ वो भी बोझ बन गयी।।
पति ने साथ छोड़ दिया। ससुराल वालो ने अब अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। न तो उसकी बेटी को संभालते न ही उसको।। बेटी भूख से रोती रहती,पर चाह कर भी रजनी कुछ कर नही पा रही थी।।उस पर ससुराल वालो के दिन भर ताने। परेशान होकर रजनी ने अपने पिता को बुला लिया और उनके साथ चली गयी। पिता ने बड़े बड़े डॉक्टर से बात की,और नकली के पैर लगाए गए।। रजनी अब नकली पैरो और बैसाखियो के सहारे चलने लगी। अपनी बेटी को सँभालने लगी और खुद को भी। उसने नौकरी पर भी जाना शुरू कर दिया। धीरे -धीरे वो अपने पुराने जीवन को वापस जीने लगी।।
ससुराल वालो को और पति को जब ये पता चला की वो वापस से कमाने और घर संभलने के योग्य हो गयी है और अब उसकी तरक्की भी हो गयी है,पहुँच गए वापस लेने। रजनी के पीहर पहुँचते ही पोती पर जो प्यार लुटाया,उसका तो पूछना ही क्या जैसे पोती और बहु की चिंता मे तो मरे ही जा रहे थे। कमल रजनी से बोला-"चलो,अपने घर चलते है। "
रजनी हँसी और बोली-"कौनसा घर?जहां तब तक मुझे प्यार और इज्जत दी गयी जब तक मे काम करने और कमाने के काबिल थी। बेटी को भी बोझ माना गया। जैसे ही मे तुम लोगो के लायक नही रही ,मै बोझ बन गयी। मुझे ताने दिए गए,मेरी बेटी भूख से रोती रही,किसी से न देखा।। मुझे और मेरी बेटी को बोझ समझा। कमल तुमने खुदने अपनी बीवी और बेटी से मुख मोड लिया। "
रजनी की आँखो मे आँसू थे।। उसकी हिम्मत जवाब दे गयी वो रोते ही फिर बोली-" मुझे और मेरी बेटी को अब तुम्हारी की जरूरत नही है। और न ही हम तुम लोगो पर फिर से बोझ बनना चाहते है। इसलिए अब अच्छा इसी मे है की तुम लोग यहाँ से चले जाओ और कभी अपनी शक्ल भी मत दिखाना। तलाक के कागज तुम्हारे घर आ जाएंगे। "
ससुराल वाले मुहॅ नीचा कर के वहाँ से चले गए। रजनी भी खुद को आजाद महसूस कर रही थी और उस लग रहा था की अब वो और उसकी बेटी किसी पर बोझ नही बनेगी।।